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जैन संस्कृति
१२६ रहती । आरोह के बाद अवरोह और अवरोह के बाद आरोह चलता रहता है। जैन धर्म के अनुयायी-समाज की संख्या में ह्रास हुआ है। किंतु भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित शाश्वत सत्यों का ह्रास नहीं हुआ है। उनके सापेक्षता, सह-अस्तित्व, अहिंसा, मानवीय एकता, निःशस्त्रीकरण, स्वतंत्रता और अपरिग्रह के सिद्धांत विश्वमानस में निरंतर विकसित होते जा रहे हैं।
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