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जैन संस्कृति
श्रवणबेलगोल तीन शब्दों से बना है। बेल का अर्थ है - श्वेत और गोल का गोल अर्थात् जैन मुनियों का धवल सरोवर ।
५. राणकपुर
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श्रवण का अर्थ है - जैन मुनि, अर्थ है - सरोवर | श्रवणबेल
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अरावली पर्वत शृंखलाओं के मध्य राणकपुर [ रणकपुर ] नाम का गांव है । यह राजस्थान के पाली जिले के अन्तर्गत है । यह फालना स्टेशन से लगभग २२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |
माना जाता है कि नंदीपुर गांव में जिनेश्वर उपासक धरणाशाह को एक रात्रि में स्वप्न आया । उसमें उन्होंने 'निलीनी गुल्म' विमान देखा । उस विमान की आकृति से प्रभावित होकर उन्होंने उसी आकृति का जिनालय बनाने की प्रतिज्ञा ली । दूर-दूर से शिल्पी आमंत्रित किए गए। प्रारम्भिक रेखाचित्र बने । इनमें से मुंडारा गांव के देपाक नामक शिल्पी का रेखाचित्र पसन्द किया गया और उसी के अनुसार विक्रम संवत् १४६५ में जिनालय की नींव डाली और १४६८ वह मन्दिर तैयार हो गया। इसमें लगभग एक
करोड़ रुपया व्यय हुआ । यह मन्दिर अपनी शानी का बेजोड़ मंदिर है । इसमें २४ रंगमंडप, १८४ भूगृह, ८५ शिखर और १४४४ स्तंभ हैं । आदिनाथ की मूर्ति की स्थापना इस प्रकार की गई है कि व्यक्ति मंदिर में किसी भी स्थान पर, किसी भी कोण में खड़ा रहे, उसे प्रतिमा के दर्शन होते हैं । इसका प्रस्तर - शिल्प बहुत ही अनोखा -और हृदयग्राही है।
इस मंदिर के निर्माता धरणाशाह के सम्बन्ध में एक किंवदन्ती प्रचलित है कि एक दिन धरणाशाह मंदिर का निर्माण देखने - गए । एक दीपक जल रहा था । उसके तैल में एक मक्खी गिर गई । धरणाशाह ने तैल से सनी मक्खी को निकाल कर अपनी जूती पर रख ली, जिससे कि मक्खी के शरीर पर लगा तैल जूती पर लग जाए, व्यर्थ न चला जाए । शिल्पियों ने यह देखा । वे आश्चर्यचकित रह गए। उनका मन संदेह से भर गया कि ऐसा कंजूस व्यक्ति इतना बड़ा जिनालय कैसे बनवा सकेगा ? परीक्षा करने के लिए उन्होंने एक दिन धरणाशाह से कहा- नीवों में सर्वधातुओं का प्रयोग करना होगा क्योंकि इतना विशाल जिन भवन पत्थर की नींव पर टिक
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