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________________ ६ चांदनी भीतर की ही नहीं, केवल स्वार्थी होता है। ऐसे व्यक्ति की चेतना नाभि के इर्द-गिर्द केन्द्रित होती साधुता की कसौटी प्रश्न है--साधुता कब आती है? जब चेतना तैजस केन्द्र से ऊपर उठकर आनन्द केन्द्र पर आ जाती है, थाइमस ग्लैंड के प्रभाव में आ जाती है तब मानना चाहिए-चैतन्य में साधुता आ गई। भगवान् महावीर ने साधुता की अनेक कसौटियां बतलाई हैं। कसौटी पर कसे बिना यथार्थ का पता नहीं चलता। व्यक्ति सोना खरीदता है तो पहले कसौटी करता है। सोना है या नहीं ? कितनी खाद है और कितना सोना? कहीं पीतल तो नहीं है? साधु की कसौटी भी जरूरी है। आचार्य भिक्षु ने इस बात पर बहुत बल दिया--पहले परखो, कसौटी करो, उसके बाद मानो। जन्मना मत मानो। किसी कुल में पैदा होना कोई मानदण्ड नहीं है। प्रत्येक बात को परखो, आंख मूंद कर स्वीकार मत करो। उत्तराध्ययन सूत्र के पंद्रहवें अध्ययन में साधु की कसौटियों का प्रतिपादन है। साधु कौन होता है, इसकी संक्षिप्त परिभाषा दशवैकालिक में भी है-- बहवे इमे असाहु, लोए वुच्चति साहुणो। न लवे असाहुं साहु ति, साहुं साहु ति आलवे ।। नाणदसणसंपन्नं, संजमे य तवे रयं। एवं गुणसमाउत्तं, संजय साहुमालवे ।। इस लोक में बहुत असाधु हैं, जिन्हें लोक में साधु माना जाता है। तुम असाधु को साधु मत कहो, साधु को ही साधु कहो। साधु कौन ? ___ कौन साधु है और कौन असाधु? आज यह प्रश्न अधिक महत्त्वपूर्ण बन गया है। जैन परम्परा के साधु भारतीय परम्परा के निराले साधु रहे हैं । इस तथ्य को जैन ही नहीं, सभी धर्मों के लोग स्वीकार करते हैं। जैन साधु की जितनी तपस्या और त्याग है, वह विस्मयकारी है। लेकिन आज स्थिति चिंतनीय बन गई है इसीलिए साधुता की कसौटी का निर्धारण अधिक प्रासंगिक बन गया है। जैन मुनि की एक पहचान बनी हुई है-जैन मुनि रुपया-पैसा नहीं रखता। वह सर्वथा अकिञ्चन और अपरिग्रही होता है। आज यह पहचान कुछ धुंधली बन रही है। दूसरे धर्म-संप्रदायों में यह माना जाता था जिसके पास जितना अधिक पैसा है, जितना बड़ा मठ है, वह उतना ही बड़ा संन्यासी है। लेकिन जैनधर्म में साधु का मानदण्ड यह कभी नहीं रहा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003082
Book TitleChandani Bhitar ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1992
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size9 MB
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