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चांदनी भीतर की
कहा गया- हम बौद्ध दर्शन का खण्डन कैसे करें, वह तो हमारा ऋजुसूत्र नय का अभिप्राय है। हम वेदान्त का खण्डन कैसे करें, वह संग्रह नय का मंतव्य है । परम्परा : नया संदर्भ
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यह समाहार और समन्वय का दृष्टिकोण सचमुच महादीर का दृष्टिकोण है। महावीर ने यज्ञों का खंडन नहीं किया, जातिवाद का खण्डन नहीं किया, तीर्थस्थान का भी खण्डन नहीं किया। महावीर ने कहा- तुम जो मान रहे हो, उसे निरपेक्ष मत मानो, सापेक्ष मानो। तुम अपनी दृष्टि अहिंसा-सापेक्ष बना लो, तुम्हारा कार्य पवित्र बन जाएगा। हिंसा के स्थान पर अहिंसा की बात जोड़ दो। महावीर ने अपने इस दृष्टिकोण से यज्ञ आदि का आध्यात्मिकीकरण कर दिया। महावीर ने प्रत्येक प्रथा को एक नया रूप दिया, एक नया आयाम दिया। जो व्यक्ति नया विकल्प देना नहीं जानता, वह कभी क्रान्तिकारी नहीं हो सकता, समाज-सुधारक नहीं हो सकता। प्रत्येक रूढ़ि को नया रूप दिया जा सकता है। रूढ़ि एक परम्परा होती है। परम्परा खराब ही नहीं होती। उसका नया रूप हो जाए तो वह ग्रास्य भी बन सकती है। भर्तृहरि ने वैराग्य शतक में विवाह के सारे नेकचारों का नवीनीकरण कर दिया। विवाह के अवसर पर सास दामाद का नाक पकड़ती है। आचार्य भिक्षु ने इस प्रथा की आध्यात्मिक व्याख्या प्रस्तुत कर दी। उन्होंने कहा - नाक पकड़ना खराब बात नहीं है। सास नाक पकड़कर कह रही है--न जाने कितने जन्मों से तू काम-भोग और वासना के चक्र में फंसा हुआ है, संसार में भ्रमण करता रहा है। अभी भी तुझे शर्म और लज्जा नहीं आ रही है। तू फिर उसी संसार चक्र में जा रहा है। तुझे शर्म आनी चाहिए।
सहज प्रचलित परम्परा का एक नया अर्थ प्रस्तुत हो गया । मूल्यांकन की दृष्टि
आज हम लोग वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं। इस युग में भी दर्शन प्रतिष्ठित है, वह अप्रतिष्ठित नहीं है। आज दर्शन के भी नये-नये ग्रंथ लिखे जा रहे हैं। आज तक सारे दर्शनों का जो मूल्यांकन हुआ है, वह वेदान्त के अनुसार हुआ है। दार्शनिक जगत् में मूल्यांकन की परम्परा रही है। जैन दर्शन, वैशेषिक दर्शन-इन सबके सिद्धान्त प्रस्तुत करने के बाद लेखक उनका मूल्यांकन करते हैं। जैन दर्शन की कौन सी मान्यता सम्यक् है और कौन सी सम्यक् नहीं, लेखक इसका मूल्यांकन करता है पर मूल्यांकन की कसौटी का आधार प्रायः वेदान्त रहा है। विद्वानों ने मूल्यांकन किया वेदान्त को मूल मानकर । यदि कोई विद्वान् सारे दर्शनों का अनेकान्त के आधार पर मूल्यांकन करता तो दर्शन को एक नया आयाम प्राप्त होता ।
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