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चांदनी भीतर की
वर्णवाद को लेकर हिंसा मत फैलाओ। एक दूसरे के प्रति उच्चता या निम्नता का भाव मत लाओ। जो आदमी जैसा काम करता है, वह वैसा ही होता है। व्यक्ति सापेक्ष है समाज महावीर की इस अवधारणा को इस रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है--
समाजः व्यक्तिसापेक्षः जनाः विविधशक्तयः ।
कर्म शक्त्यनुरूपं स्याद्, तेन जातिः स्वकर्मणा।। समाज व्यक्ति सापेक्ष होता है। प्रत्येक समाज में साहस-प्रधान, बुद्धि-प्रधान और कर्म-प्रधान लोग होते हैं। कोई भी आदमी एक प्रकार की शक्ति वाला नहीं होता किन्तु शक्ति वह कहलाती है, जो जाग जाती है। किसी में पौरुष और पराक्रम की शक्ति जाग जाती है। किसी में बुद्धि की क्षमता प्रखर होती है। अनेक व्यक्तियों में अनेक प्रकार की शक्तियां जागती हैं। एक व्यक्ति पढ़ने में बहुत तेज है पर कला-शिल्प में कुछ नहीं है। एक व्यक्ति कला-शिल्प में बहुत दक्ष है पर पढ़ने में मंद है। शक्ति का जागरण एक प्रकार का नहीं होता। अनेक प्रकार की शक्तियों की तरतमता होती है। समाज की जितनी अपेक्षाएं होती हैं, उन्हें पूरा करने वाले लोग भी उतने ही चाहिए। यदि एक
आदमी होता तो कुछ होता ही नहीं। आदमी कितना ही शक्तिशाली हो पर वह होगा एक ही दिशा में। अन्य सारी शक्तियों की पूर्ति के लिए उसे समाज से जुड़ना पड़ेगा। इसीलिए सब सापेक्ष हैं, कोई निरपेक्ष नहीं है। यदि कोई व्यक्ति निरपेक्षता की बात सोचता है तो इससे बड़ी कोई भूल नहीं हो सकती। आचार्य कालूगणी कहा करते थे--आचार्य सब कुछ होता है पर वह भी इतना सापेक्ष है कि उसे कहीं भी जाना हो तो एक साधु का सहयोग चाहिए। जहां समुदाय है, समाज और राज्य है वहां निरपेक्षता की बात नहीं सोची जा सकती। सफलता का सूत्र
समाज का सूत्र है सापेक्षता । करोड़ो लोगों की शक्ति लगती है तब एक समाज बनता है, समाज की आवश्यकताएं पूरी होती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी शक्ति के अनुरूप कर्म करता है। जिसमें जिस प्रकार की शक्ति होती है, उसमें उसी प्रकार का कर्म होता है। यह बहुत बड़ा सूत्र है-जिस व्यक्ति में जिस प्रकार की शक्ति है, उसे उसी कर्म में लगाओ। यह समाज की सफलता का सूत्र है-शक्ति के अनुरूप कर्म का नियोजन होना चाहिए। यह था कर्म का सिद्धान्त--जिस प्रकार की शक्ति, उसी प्रकार का कर्म। प्रस्तुत प्रसंग में कर्म का अर्थ ज्ञानावरण और दर्शनावरण से नहीं है। कर्म का तात्पर्य है कार्य से। जिस व्यक्ति में जो काम करने की शक्ति है, वह उसी काम में अपनी शक्ति
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