________________
रूपान्तरण
'महाराज ! आप विवाद न करें। यह सारी दुनियां का नियम है, आप इसके अपवाद नहीं हो सकते।
यह बात विवाद का विषय बन गई।
राजा ने कहा-तुम इसे प्रमाणित करो। यदि प्रमाणित हो जाएगी तो मैं मान लूंगा।
में जल्दी प्रमाणित कर दूंगा इस तथ्य को।' प्रमाण मिल गया
राजा ने सोचा--मंत्री इसे सच प्रमाणित नहीं कर पाएगा। मंत्री का विश्वास था- मैं इसे अतिशीघ्र प्रमाणित कर दूंगा । एक सप्ताह बाद मंत्री ने एक राजाज्ञा प्रसारित की-आज नगर के बाहर सब नागरिकों को आना है। वहां पूर्व और पश्चिम में दो खेमें बनाए गए हैं। जो लोग स्त्रियों के कहे अनुसार चलते हैं, उन्हें पूर्व के खेमे में जाना है। जो लोग अपनी इच्छा से चलते हैं, स्त्रियों का कहना नहीं मानते, उन्हें पश्चिम के खेमें में जाना है।
राजाज्ञा की घोषणा हो गई। उस समय राजाज्ञा का उल्लंघन करना असंभव सा कार्य था। शाम के समय सब लोग आने लगे। पूरा नगर पुरुषों से खाली हो गया। राजा और मंत्री भी वहां पहुंच गए। राजा ने देखा--पूर्व का खेमा खचाखच भरता जा रहा है और पश्चिम का खेमा एकदम खाली पड़ा है। राजा का चेहरा उदास हो गया। उसने सोचा-क्या मेरा कथन असत्य होगा ? सब पूर्व के खेमें की ओर ही जा रहे हैं। मंत्री की बात सही होगी ?
राजा गंभीर हो गया। मंत्री मन ही मन मुस्करा रहा था। कुछ क्षण बीते एक व्यक्ति पश्चिम के खेमें में गया। राजा बोला--मंत्री ! तुम सही हो पर एकदम गलत में भी नहीं हूं। देखो ! एक व्यक्ति पश्चिम के खेमें में भी गया है। वह बहुत समझदार और स्वतंत्र चिन्तन वाला है।
‘महाराज ! आप जरा ठहरें। अभी पता चल जाएगा--वह स्वतंत्र चिन्तन का परिणाम है या नहीं।
'क्या इसमें संशय है ?
'हां महाराज !' यह कहकर मंत्री ने कर्मचारियों को आदेश दिया--'जो व्यक्ति पश्चिम के खेमे में गया है, उसे बुलाओ।'
कर्मचारी उसे बुला लाए। वह राजा के सामने हाथ जोड़े खड़ा था। मंत्री ने पूछा-भई ! सब लोग पूर्व के खेमे में गए, तुम उधर क्यों नहीं गए। उस व्यक्ति ने
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org