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मंगल सूत्र
और फूंक मारकर बल्ब को बुझाने का प्रयत्न करने लगा। फूंक मारते-मारते वह थक गया। बिजली बुझी नहीं। फूंक मारने के सिवाय वह दूसरा कोई उपाय जानता नहीं था । दीए को फूंक से ही बुझाया जा सकता है ।
फूंक मारना भी एक नियम है दीए को बुझाने का, किन्तु वह इतना स्थूल नियम है कि केवल दीए पर ही लागू होता है, बिजली पर नहीं । हम एक जगत् के नियमों को जानते हैं, किन्तु हम अनेक जगत् में जीते हैं। दुनिया इतनी विराद है और जगत् के इतने स्तर है कि एक स्तर का नियम दूसरे स्तर पर लागू नहीं होता । स्थूल नियमों को हम जानते हैं, इसीलिए स्थूल पदार्थों का हम सबसे पहले चुनाव करते हैं । हमने चुनाव किया पदार्थों का, पदार्थ मंगल होते हैं। पदार्थ इसलिए मंगल होते हैं कि उनमें से निकलने वाली रश्मियां हमें प्रभावित करती हैं । उन रश्मियों से हम प्रभावित होते हैं ।
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पदार्थ का दूसरा लक्षण है - 'चयापचया धर्म...' । प्रतिक्षण चय और अपचय होता है। कुछ निकलता है और कुछ जुड़ता है। सूक्ष्म जगत् में यह क्रम तेजी के साथ चल रहा है । हमारे इस शरीर से प्रतिक्षण अनन्त परमाणु निकल रहे हैं और नये परमाणु उसमें आ रहे हैं । यह चमड़ी एक अवरोध है कि बाहर की चीज भीतर में नहीं जा सकती। पानी की बूंद शरीर पर गिरी कि चमड़ी उसे रोक लेगी, वह भीतर नहीं जाने पाएगी। बाहर ही सूख जाएगी। किन्तु यह तो स्थूल पदार्थ के लिए अवरोध है । चमड़ी में से कितनी सूक्ष्म रश्मियां निकलती हैं, आर-पार जाती हैं, कोई बाधा नहीं है । भींत किवाड़ और दरवाजें - यें सारे स्थूल जगत् के तत्त्वों को रोकने वाले हैं । परमाणु के लिए भींत का कोई अर्थ नहीं है । पदार्थ की ये दो विशेषताएं हैं- रश्मिवत् होना और चयापचय धर्म वाला होना । रश्मियां जो निकलती हैं वे हमें प्रभावित करती हैं और निश्चय ही हम उनसे प्रभावित हो जाते हैं । बहुत सारे पदार्थ ऐसे हैं जिनमें से अच्छी रश्मियां निकलती हैं और अच्छा प्रभाव डालती हैं। इसलिए पदार्थ को हमने मंगल माना । पर हर पदार्थ, हर स्थिति में मंगल होता है ऐसा भी नहीं मानना चाहिए। सौर जगत् के विकिरण आते हैं और मंगल मंगल करते हैं। इस पर आगम शास्त्र में बहुत गंभीर चिन्तन किया गया, फिर निर्णय दिया गया कि वे मंगल हैं। पर इनको वास्तविक मंगल नहीं मानना चाहिए। ये द्रव्य मंगल हैं, भाव मंगल नहीं । द्रव्य का अर्थ है - अवास्तविक और भाव का अर्थ है- वास्तविक, पारमार्थिक । ये पारमार्थिक मंगल नहीं हैं । ये मंगल हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते । इसको तर्क
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