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________________ सुधरे व्यक्ति समाज व्यक्ति से संदेह न करे तो वह कुशल राजनीतिज्ञ नहीं कहला सकता। वह कुशल कूटनीतिज्ञ नहीं हो सकता। कूटनीतिज्ञ की कुशलता इसी में है कि वह प्रत्येक बात को संदेह की दृष्टि से देखे, किसी पर भरोसा न करे और यह बात जनता के गले उतार सके कि विरोधीपक्ष वालों की बातें निराधार हैं, झूठी हैं। उनके शब्दकोश में 'विश्वास' शब्द होता ही नहीं। पिता-पुत्र नीचे खड़े थे। पिता ने कहा-बच्चे! छत पर जाओ। बच्चा उछलता-कूदता छत पर चढ़ा। पिता ने कहा-बेटे! छत से कदो, मैं अपने हाथों पर तुम्हें झेल लूंगा। बेटा बोला-पिताजी ! कहीं जमीन पर गिर पड़ा तो चोट लगेगी, कूदने में भय लगता है। पिता बोला-बेटे! डर मत । मैं नीचे नहीं गिरने दूंगा। हाथों में थाम लूंगा। तुम भय को मन से निकाल दो। बच्चे ने पिता पर विश्वास कर छलांग लगा दी। पिता ने पहले से ही हाथ पसार रखे थे। ज्योंहि बच्चे ने छलांग लगाई पिता ने हाथ समेट लिए । बच्चा धड़ाम से जमीन पर गिरा। चोट आई, पर वह बच गया। बच्चे ने रोते हुए कहा-पिताजी! यह आपने क्या किया? पिता ने कहा-बेटे! मैं तुम्हें एक महत्त्वपूर्ण सीख देना चाहता था, वह आज मैंने तुम्हें दे दी। तुम नहीं जान सके । मैं यह सीख देना चाहता था कि यह दुनिया बड़ी विचित्र है। इसमें भरोसा अपने बाप का भी नहीं करना चाहिए। ___यह दुनिया व्यवहार पर चलने वाली दुनिया है। यह बुद्धि के स्तर पर चलने वाली दुनिया है, जहां यह पाठ पढ़ाना आवश्यक हो जाता है कि भरोसा बाप का भी नहीं करना चाहिए। बुद्धि का काम है संदेह पैदा करना। संदेह के बाद तर्क पैदा होता है। संदेह बुरा नहीं है। तर्क भी बुरा नहीं है। ये बुरे कैसे हो सकते हैं? जब हमें बुद्धि की दुनिया में जीना है तो संदेह करना होगा। यदि यहां संदेह नहीं करेंगे तो बहुत बड़ा धोखा हो सकता है और तर्क न हो तो भी धोखा हो सकता है। तर्क बहुत बड़ा आधार है। इस आलम्बन के द्वारा व्यक्ति अनेक समस्याओं से पार पा जाता है। यदि तर्क न हो तो सभी न्यायालय बन्द हो जाएंगे। न्यायालयों का सारा काम तर्क के आधार पर चलता है। जिसका तर्क बलवान होता है वह झूठ होने पर भी जीत जाता है और जिसका तर्क लचीला होता है वह सच्चा होने पर भी हार जाता है। न्यायालय का आधार है तर्क, तर्क और तर्क। यदि तर्क न हो तो न्यायालयों के दरवाजे बन्द हो जाएंगे। विभिन्न सम्प्रदायों का अस्तित्व तर्क के आधार पर ही टिका हुआ है। आत्मा है या नहीं-यह तर्क के आधार पर चल रहा है। आज से नहीं, हजारों-हजारों वर्षों से आत्मा को सिद्ध करने के लिए तर्क दिए जा रहे हैं और आत्मा के अस्तित्व को नकारने के लिए भी तर्क दिए जाते हैं। एक वर्ग आत्मा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003080
Book TitleMain Kuch Hona Chahta Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2001
Total Pages158
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size7 MB
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