________________
एक शब्द
जैन मनीषियों द्वारा प्रणीत जैन योग के अनेक ग्रंथ हैं। जैन विश्व भारती में 'अनेकांत शोधपीठ' के डायरेक्टर डॉ. नथमल टांटिया ने अपनी पुस्तक 'जैन मेडिटेशन' में जैन योग के शताधिक ग्रंथों की सूची प्रस्तुत की है।
एक प्रसंग में आचार्य महाप्रज्ञ ने हमें प्रेरणा दी कि जैन योग के ग्रंथों का अनुवाद प्रस्तुत किया जाए। 'कायोत्सर्ग शतक' और 'ध्यान शतक'-- इन शीर्षकों से दो पुस्तिकाएं पहले प्रकाशित हो चुकी थीं। शेष ५ ग्रंथों का अनुवाद किया और सात ग्रंथों का यह एक ग्रंथ तैयार हो गया।
मैं गणाधिपति पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी तथा आचार्य महाप्रज्ञ का आभार मानता हूं और उनके मार्गदर्शन में चल रहे सारस्वत यज्ञ में अपनी एक लघु आहुति प्रस्तुत कर आनंदित होता हूं।
मैं साध्वी दर्शनविभाजी के सहयोग की स्मृति करता हूं, जिन्होंने एम. ए. फाइनल में अध्ययनरत होते हए भी मेरे इस कार्य में हाथ बंटाया।
मुनि दुलहराज
लाडनूं १-९-९५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org