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सरल नहीं है काम का अनिक्रमण
चक्षुष्मान् !
काम का अतिक्रमण करना सरल नहीं है। इसका हेतु साफ है। शरीर के ऊपर मैल लग गया, उसकी सफाई बहुत कठिन नहीं है किन्तु शरीर के भीतर की सफाई करना सरल नहीं है।
काम शरीर के भीतर है।
आगे चलें तो मन के भीतर हैं, और उससे आगे जाएं तो भाव के भीतर है।
उससे भी आगे जाने पर पता चलेगा—वह सूक्ष्मतम शरीरकर्मशरीर के भीतर है।
यह सूक्ष्म से स्थूल बनकर बाहरी जगत् में आता है और स्थूल को प्रभावित करता है।
उसे स्थूल से सूक्ष्म की ओर गए बिना प्रभावित नहीं किया जा सकता इसीलिए काम का अतिक्रमण करना सरल नहीं है। यह उद्घोष बहुत यथार्थ है। इस उद्घोष के आधार पर ही भगवान् महावीर ने कहा
कामकामी खलु अयं पुरिसे ।
1 दिसम्बर, 1997 जैन विश्व भारती
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अपथ का पथ
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