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क्या बढ़ सकता है जीवन ?
चक्षुष्मान् !
विज्ञान का युग है। जीनेटिक इंजीनियरिंग का बहुत विकास हो रहा है। छिन्न आयुष्य को सांधने अथवा जीवन को बढ़ाने का कोई सूत्र खोज निकाले तो नए सिद्धांत की स्थापना करनी होगी।
अब तक का स्वीकृत सत्य यह है-छिन्न आयुष्य बढ़ाने का कोई सूत्र ज्ञात नहीं है।
आयुष्य घट सकता है, यह सब लोग जानते है। आयुष्य बढ़ सकता है, यह सम्मत नहीं है। जीवन की एक अवधि है । उसे सब जानते हैं ।
मोह इतना धना है कि जानते हुए भी हर आदमी इस सचाई को झुठलाने का प्रयत्न कर रहा है और अपने आपको अमर मान रहा है। इस भ्रांति को तोड़ने के लिए भगवान महावीर ने कहा
जीवियं दुप्पडिवूहणं । छिन्न आयुष्य को सान्धा नहीं जा सकता, जीवन को बढ़ाया नहीं जा सकता।
1 अगस्त, 1997 गंगाशहर
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अपथ का पथ
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