________________
कायोत्सर्ग । ६७
कायोत्सर्ग के साथ यथास्थान इन संकल्पों को दोहराइए : १. शरीर शिथिल हो रहा है। २. श्वास शिथिल हो रहा है। ३. स्थूल शरीर का विसर्जन हो रहा है। ४. तैजस शरीर प्रदीप्त हो रहा है। ५. कार्मण शरीर भिन्न हो रहा है । ६. ममत्व विसर्जन हो रहा है। ७. मैं आत्मस्थ हो रहा हूं।*
* साधु-साध्वियों के प्रणिधान-कक्ष में दिए गए भाषण से।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org