________________
उपेक्षा और अपेक्षा उपेक्षासे अपेक्षा ठीक चलती है। अपेक्षासे अपेक्षा पूरी नहीं होती। अपेक्षा सुखकी होनी चाहिए। वह परिग्रहमें नहीं अपने-आपमें है।
अनुसन्धान अन्वेषणका युग है। दृष्टि पड़े वहीं अनुसन्धान-शालाएँ और अनुसन्धाता हैं। अनुसन्धान और सभी वस्तुओंका हुआ, दोका नहीं - मानवताका और मानवको अपनी परिधिका ।
भाव और अनुभाव
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org