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आलोचक
कुछ लोगोंका सिद्धान्तसे लगाव नहीं होता, उन्हें आलोचना प्रिय होती है । वे हर किसी विषयको उसकी सामग्री बना लेते हैं । कुछ लोग बेकार हैं। बेकारोभे मनुष्य आलोचनाके सिवाय और करे क्या ?
विरोधका मूल संस्थाओंमें नहीं खोजा जा सकता। वह व्यक्तियोंमें मिलता है।
भाव और अनुभाव
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