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टेढ़ी-सीधी रेखाएँ राजनीतिक चालोंका स्वरूप ही ऐसा है कि उससे प्रारम्भमें समस्या सुलझती-सी लगती है, किन्तु अन्तमें उलझ जाती है। और स्पष्टताका रूप यह है कि प्रारम्भमें उससे समस्या उलझतीसी लगती है किन्तु अन्तमें सुलझ जाती है।
विनोद विनोद जीवनकी वह उर्वरा है जहाँ आनन्दोंकी बुआई होती है, पर ध्यान रहे कहीं हलकेपनकी खाद न गिर जाये, उसमें विषादका बीज न उग आये ।
भाव और अनुभाव
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