________________
पहेलियाँ जो दिलाया जाता है वह अविश्वास है। विश्वास दिलानेकी वस्तु नहीं, वह स्वयं प्राप्त होता है।
यह कैसा अचरज ? जो चाहिए उसका भान ही नहीं और उसके
लिए तड़प रहे हो, जो नहीं चाहिए।
तुम आनेवालोंको नहीं पहचानते, क्योंकि वे वहाँसे आये हैं जहाँ तुम नहीं थे। तुम पहचानते हो जानेवालोंको, क्योंकि वे वहाँसे गये हैं. जहाँ तुम रह रहे हो।
भाव और अनुभाव
१९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org