________________
झुकाव अपने सम्प्रदायके विचार जो बुद्धिगम्य हैं, वे मेरी दृष्टिसे सत्य हैं और जो बुद्धिसे परे हैं, वे मेरे लिए चिन्तनीय हैं। दूसरे सम्प्रदायके विचारोंके प्रति भी मेरा यही दृष्टिकोण होना चाहिए । यह आग्रह नहीं, सत्यकी शोधका भाव है। इयत्ता नहीं, अनन्तकी ओर झुकाव है।
भाव और अनुभाव
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org