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तुच्छ और महान् जो निसर्गसे महान है
उसमें कुसंग क्या परिवर्तन लायेगा? जो निसर्गसे तुच्छ है
वह सत्संगमें रहकर भी क्या कर पायेगा ? उसे कुसंगसे बचाओ
जो संसर्गसे महान् है। उसे सत्संगमें रखो
जो संसर्गसे तुच्छ है ।
भाव और अनुभा
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