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________________ ११० ११२ ६ ११४ ११५ एक मन्त्र श्रम और सोना भूख और भोग, गठबन्धन नहीं ९४ साधनाका मार्ग ___९५ अर्थवाद उपेक्षा और अपेक्षा, अनुसन्धान ९७ अकर्मण्यता नहीं अंकनका माध्यम रोटी और पुरुषार्थ, रोटीका दर्शन १०० रोटी और मानवता १०१ सम और विषम १०२ समझसे परे १०३ सन्तोंका साम्राज्य, भेद-रेखा १९४ यह कैसा आश्चर्य ? १०५ अनुशासनकी समझ, ____ एकान्तवास १०६ तुलसीके प्रति आराध्यके प्रति १०८ ११९ पहल अनेकान्त-दर्शन तुच्छ और महान् महान् कौन ? युवक वह था उतार-चढ़ाव गति कैसे ? ममताका देश सत्यम् शिवम् सुन्दरम् अभिव्यक्ति चरम-दर्शन आँखों देखा सच मानो या मत मानो उपासनाका मर्म स्मृति और विस्मृति आत्म-विश्वास प्रतिबिम्ब व्यक्ति और विराट आत्म-सत्य झुकाव १२० १२१ १२३ १२४ १२५ १२८ निष्कर्ष भाव और अनुभाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003075
Book TitleBhav aur Anubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1965
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size3 MB
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