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अश्रुवीणा । १०७ श्रोत्रेन्द्रिय विषय के रूप में-रूपं शब्द (अमरकोश1.5.7) व्याकरणादि शास्त्रों का वाचक-शास्त्रे शब्दस्तु वाचक (1.6.2) ध्वनि के पर्याय शब्दे निनाद निनद-अमर 1.6.22
शप आक्रोशे धातु से शाशपिभ्यां ददनौ (उणादि 4.97) से दन् प्रत्यय होकर शब्द बनता है। शब्द शब्दकरणे धातु से घञ् प्रत्यय करने पर होता है। राजवार्तिककार ने लिखा है__ शपत्यर्थमाह्वयति प्रत्यायति शप्यते येन शपनमात्रं वा शब्दः, अर्थात् जो अर्थ को कहता है, जिसके द्वारा अर्थ कहा जाता है या शपन मात्र है वह शब्द है। बाह्य श्रवणेन्द्रिय द्वारा अवलम्बित भावेन्द्रिय द्वारा जानने योग्य ऐसी जो ध्वनि है वह शब्द है।
शब्द के दो भेद हैं - अक्षरात्मक और अनक्षरात्मक। परिकर अलंकार है। शब्दों के लिए अनेक साभिप्राय विशेषण का प्रयोग
(३४) जीवाजीवैरपि तदुभयै यमुत्पद्यमाना, अभ्रे मूर्ति जनयथ निजां चित्ररेखाश्च भूमौ । चित्रं युष्मान् श्रवणविषयान् मन्वतेऽद्यापि लोकाः,
सूक्ष्मैर्भाव्यं न खलु विदुरैः स्थूलदृष्टिं गतेषु ॥ अन्वय- यूयम् जीवाजीवैः तदुभयैः उत्पद्यमाना अभ्रे निजां मूर्तिं भूभौ चित्ररेखाश्च जनयथ। चित्रम् अद्यापि लोका युष्मान् श्रवणविषयान् मन्वते । स्थूलदृष्टिं गतेषु विदुरै सूक्ष्मैः खलु न भाव्यम्
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