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________________ यह सारा जगत् तरंगों से आन्दोलित है। विचारों की तरंगें, कर्म की तरंगें, भाषा और शब्द की तरंगें पूरे आकाश में व्याप्त हैं । व्यक्ति का मस्तिष्क और स्नायविक प्रणाली भी आन्दोलित हो रही है। इस स्थिति में मन्त्र क्या है और उसके द्वारा क्या किया जा सकता है। यह भी सोचने का अवसर मिलता है। मंत्र एक प्रतिरोधात्मक शक्ति है। मंत्र एक कवच है। मंत्र एक प्रकार की चिकित्सा है। संसार में होने वाले प्रकंपनों से बचने के लिए, उनके प्रभावों को कम करने के लिए, व्यक्ति प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास करे; मन्त्र की भाषा में-कवचीकरण का विकास करे । प्रत्येक व्यक्ति के चारों ओर एक आभामंडल होता है, एक वलय होता है। अच्छे विचारों से अच्छा आभामंडल, बुरे विचारों से बुरा आभामंडल बनता है। मंत्रशक्ति के उपयोग से, शब्दों की संयोजना से ऊर्जा का आभामंडल बनाया जा सकता है। हम उस शब्द-विन्यास का उच्चारण करें। सूक्ष्म या सूक्ष्मातिसूक्ष्म उच्चारण करें। इससे निर्मित होने वाला ऊर्जा का आभावलय इतना शक्तिशाली और इतना प्रतिरोधात्मक बनेगा कि कोई भी बाहरी शक्ति आक्रमण नहीं कर पाएगी। मंत्र की आराधना की अनेक निष्पत्तियां हैं- वे निष्पत्तियां आंतरिक, बाह्य, मानसिक, शारीरिक हैं। इस प्रकार इसकी निष्पत्तियों के रूप में मन की प्रसन्नता, चित्त की संतुष्टि, संकल्प-शक्ति के विकास आदि को सहज रूप में प्राप्त किया जा सकता है। Jain Education Inti Vara
SR No.003073
Book TitleEso Panch Namukkaoro
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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