________________
१५२ : एसो पंच णमोक्कारो
माया-विजय कण्ठकमले मायानिवारणार्थं चतुर्ज्ञानेन चतुःशरणपूर्वकं परमपदध्यानम् ।
-
नाणण माहिर
मरण पकन्याम
मायावारण
कसरण पवन्जामि
अपच्चमानि
अणंताणुबंधि
____
का संजलण
त्यावरण
अर्णतापुर
Jourcken
अणंताणुबंधि
जलण
स्थ चनाणेण AR
णमो अरिहंताणं
अपच्चरवाणि
पथ्य
Ladiane
पच्चरस्वाणि
नाण चत्तारित
२) संजलण
bhab
माकवरणत्य
Befaula
संजलण
नारिसरण पबन्नामि
पच्चरमणि
अपच्चरवाणि
अणंताणुबंधि
Senter
R
ames
RANDIRE
(पंचपरमेष्ठी मंत्रराज ग्रन्थ से साभार)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org