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संकलिका 7
• वेदन्तो कम्मफलं सुहिदो दुहिदो य हवदि जो चेदा । सो तं पुणो वि बंधदि बीयं दुक्खस्स अट्ठविहं । ।
( समयसार
• धर्म की कला : कर्मफल भोगने की कला
• दुःख क्यों आता है ?
• दुःख में दुःखी न बनें सुख में सुखी न बनें
• पुण्य का फल : राग
• पाप का फल : द्वेष
• बंधन की श्रृंखला
चक्रवर्ती भरत का निदर्शन
• घटना सनतकुमार की
• धर्म का मर्म
• परम आचरण है समता
• सुखी होना : दुःख को आमंत्रण देना • विधायक दृष्टि जागे
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