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लड़ें स्वयं के साथ | ६३
विजेता बनाना है। ये दो आत्माएं कहां से आ गई? उत्तर दिया गया—प्राणी के भीतर दो नहीं, सौ आत्माएं बैठी हैं। आत्मा कभी अकेली बनी ही नहीं। मनुष्य के इस शरीर के भीतर अनेक आत्माएं हैं। उनमें एक आत्मा को विजेता बनाना है और शेष को पराजित करना है। एक पराजित करने वाली आत्मा, एक पराजित होने वाली आत्मा है। ____ आगम साहित्य में आत्मा का प्रयोग अनेक अर्थों में होता है। आत्मा का एक अर्थ है-शरीर । आत्मा का एक अर्थ है-इन्द्रियां । आत्मा का एक अर्थ हैमन । आत्मा का एक अर्थ है-चेतना । आत्मयुद्ध के प्रसंग में इन्द्रिय, मन और कषाय आत्मा से लड़ना है। चार कषाय, पांच इन्द्रियां और मन-इन दस का समह है-आत्मा । यह एक यूनिट है, इकाई है । आत्मयुद्ध में इस आत्मा को पराजित करना है और ज्ञाता द्रष्टा आत्मा को विजयी बनाना है । यह 'आत्मना युद्धस्व' की रूपरेखा है। आश्चर्यजनक सच
‘कैसे लड़ें' इस प्रश्न पर अध्यात्म और मनोविज्ञान-इन दो दृष्टियों से विचार करना अपेक्षित है। अध्यात्म के आचार्यों ने चेतना के क्षेत्र में समूह जगत् के अनेक रहस्यों का प्रतिपादन किया था। किन्तु वे बहुत संदिग्ध माने जाते थे। सिगमंड फ्रायड, जो मनोविज्ञान के प्रवर्तकों में प्रमुख है, ने चेतना के सूक्ष्म-स्तरों का विश्लेषण किया। उससे अध्यात्म को एक नया प्रकाश मिला, नया बल मिला । फ्रायड के बाद मनोविज्ञान की एक परम्परा चल पड़ी। मनोविज्ञान ने चेतना ने अनेक सूक्ष्म स्तरों की व्याख्या की । अगर आज कोई आध्यात्मिक मनोविज्ञान को नहीं पढ़ता है तो एक कमी महसूस करनी चाहिए। चेतना के सूक्ष्म स्तरों की व्याख्या में मनोविज्ञान आज अध्यात्म का पूरक एवं सहायक बनता है । यह स्वीकार करना चाहिए—आज चेतना के जगत् में प्रवेश करने का संसार को जो अवसर मिला है, वह मनोवैज्ञानिकों के द्वारा मिला है, किसी धार्मिक व्यक्ति के द्वारा नहीं मिला है । यह आश्चर्य की बात होते हुए भी सच
मनोरचना का एक प्रकार : अवदमन
मनोविज्ञान में मनोरचना के अनेक प्रकार बतलाए गए हैं। इनमें तीन प्रमुख हैं• अवदमन (रिप्रेशन) • शमन (सप्रेशन) • उन्नयन (सब्लिमेशन)
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