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काम परिष्कार के सूत्र काम मौलिक मनोवृत्ति है । मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि मनुष्य की बहुत सारी शक्तियों का विकास कामशक्ति के द्वारा होता है। इसमें पूरी सचाई नहीं है और सभी मनोवैज्ञानिक इसमें एक मत नहीं हैं। फ्रायड ने इस पर बहुत बल दिया तो यूंग ने इसे अस्वीकार कर दिया । उत्तरवर्ती मनोवैज्ञानिकों ने भी फ्रायड का समर्थन नहीं किया। संघर्ष का हेतु
__ मनुष्य में अनेक शक्तियां हैं। उनमें एक है कामशक्ति, काम की ऊर्जा । काम एक वृत्ति है। उसके साथ इसलिए लड़ना है, संघर्ष करना है कि वह उच्छृखल न बने, निरंकुश न बने । उस पर नियन्त्रण आवश्यक है। नियंत्रण स्थापित करने के लिए संघर्ष आवश्यक है। संघर्ष के बिना उस पर अकुंश नहीं लगाया जा सकता। वृत्ति अपना दवाब डालती है और निरंकुश होना चाहती है। व्यक्ति यदि काम की निरंकुशता को सहन कर लेता है तो उसकी जीवन-यात्रा सुचारु रूप से चल सकती है । नियन्त्रण के लिए पुरुषार्थ का प्रयोग करना होता है । काम अपने पर नियंत्रण चाहता नहीं और व्यक्ति उस पर नियन्त्रण करना चाहता है, तब संघर्ष होना अनिवार्य है। यह संघर्ष का हेतु है। साधन को शक्तिशाली बनाएं
प्रश्न है, कामवृत्ति के साथ कैसे लड़ें? जब तक लड़ाई का सही ढंग ज्ञात नहीं होता तब तक विजय प्राप्त नहीं होती और पराजित होना पड़ता है। विजय पराजय में बदल जाती है । जो लड़ाई के सम्यक् तरीके जानता है, जिसके साधन सशक्त हैं वह विजयी बनता है। जो लड़ाई के सूत्रों से अनजान है, जिसके साधन सशक्त हैं, वह विजयी बनता है। जो लड़ाई के सूत्रों से अनजान है, जिसके साधन कमजोर हैं, वह लड़ नहीं सकता और यदि लड़ता है तो पराजित हो जाता है । यह जय और पराजय का सिद्धांत है। ____ कामवृत्ति के साथ लड़ना है तो साधनों को शक्तिशाली बनाना होगा और कामवृत्ति के स्वरूप को समझना होगा।
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