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ब्रह्मचर्य / १५
हैं और फिर नई बनती जाती हैं। मस्तिष्क ही एक ऐसा है कि जहां कोशिकाएं नष्ट होती हैं पर उनका पुनर्निमाण नहीं होता। सबसे ज्यादा सुरक्षा करने का साधन है हमारा मस्तिष्क और फिर प्राण-1 ग-विद्युत् । ब्रह्मचर्य : मूल्यांकन का आधार
इस पर ध्यान देना जरूरी है कि काम की तरंग जब पैदा होती है, मस्तिष्क क्षुब्ध हो जाता है । जब काम की तरंग विलीन हो जाती है मस्तिष्क हो जाता है । जितना मस्तिष्क शांत रहता है, आदमी उतना ही शक्तिशाली बनता है और मस्तिष्क जितना उद्विग्न, उत्तेजित या क्षुब्ध होता है, आदमी उतना ही कमजोर होता है । ब्रह्मचर्य का इसी आधार पर मूल्यांकन किया गया है। कुछ लोग बड़े परेशान हो जाते हैं कि वीर्य स्खलन हो गया। जिसके वीर्य स्खलन हो गया, उसे वे ब्रह्मचारी नहीं मानते, बड़ी विचित्र बात है । कई लोग तो बड़े चिंतित हो जाते हैं । यह कोई इतनी चिंता की बात नहीं है । अगर किसी दुर्भावना से, किसी उत्तेजना से वीर्य स्खलन होता है तो सचमुच चिंता की बात है । यह बार-बार नहीं होना चाहिए । किन्तु एक प्राकृतिक नियम है कि जब वीर्य ग्रंथियों में समा नहीं सकता तो वह बाहर निकलता है । यह कोई चिंता की बात नहीं है ।
एक प्रश्न है ब्रह्मचारी होने का । सब व्यक्ति ब्रह्मचारी बन सकें, यह तो बहुत कठिन बात है, कठिन साधना है । सामान्य व्यक्ति अपने 'काम' की पूर्ति करते हैं और जीवन चलाते हैं । कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं जो इस दिशा में उसका संयम करना चाहते हैं, संयम करते हैं ।
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संभोग कितनी बार
'काम' का अतिसेवन खतरनाक होता है। उससे शक्तियां बहुत क्षीण होती हैं । सुकरात से पूछा गया- मनुष्य को संभोग कितनी बार करना चाहिए ?
उन्होंने कहा— जीवन में एक बार ।
'यह संभव न हो तो ?'
'वर्ष में एक बार ।'
'यह भी संभव न हो तो ?'
'महीने में एक बार । '
'यह भी संभव न हो तो ?'
फिर कफन सिर पर रख लो और चाहे जैसे चलो।'
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