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________________ ६४ आमंत्रण आरोग्य को सत्य से खिलवाड़ न करें इस घटना ने मेरे मन में दो प्रश्न खड़े कर दिए—क्या यह कोई चमत्कार है अथवा नियम है ? मैं नियमों की खोज में रहता इसलिए चमत्कार मुझे नहीं घेर पाते । श्रद्धा परिवर्तन का एक शक्तिशाली सूत्र है | उससे मनुष्य के.शरीर में एक एन्डोरफिन श्रृंखला के अनेक रसायन उत्पन्न होते हैं, वे पीड़ा को कम करते हैं, रोगों का निवारण करते हैं, मानसिक प्रसन्नता की अभिवृद्धि करते हैं । भावित होना भी एक नियम है । एक व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले परमाणु-पुञ्ज से भूमि, जल, वायुमण्डल- ये सभी भावित होते हैं । तपस्वी का आभामण्डल बहुत शक्तिशाली, निर्मल और पवित्र बन जाता है। उससे विकीर्ण आभा-रश्मियां परिपार्श्व को भी पवित्र और निर्मल बनाती हैं । आचार्यश्री की तपस्या प्रबल है । उनमें सहज सिद्ध योग का दर्शन होता है। उनका आभामण्डल तेजोवलय से संवलित है । कोई आश्चर्य नहीं है कि उनके चरण जिस भूमि पर टिकें, वह भूमि भी तपोबल से भावित हो जाए। उक्त घटना की श्रद्धा से व्याख्या करें तो वह भी एक नियम है | भावना योग से उसकी व्याख्या करें तो वह भी एक नियम है । नियम के जगत् में चमत्कार जैसा कोई शब्द ही नहीं है । जो जानता है, उसके लिए नियम नियम है । जो नहीं जानता, उसके लिए नियम एक चमत्कार है । हमारे कुछ संत, बाबा और संन्यासी ऐसे हैं, जो चमत्कार प्रदर्शित कर अपने आपको भगवान के रूप में प्रस्तुत करने की आकांक्षा में पल रहे हैं | मेरी दृष्टि में वे सत्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं | सत्य नियमों के साथ चलता है, चमत्कार के साथ नहीं । अन्तर्जगत् में जीने वाला संत नियम को कभी चमत्कार का रूप नहीं देगा । जो नियम को चमत्कार में बदल देते हैं, उन सन्तों को दूर से ही प्रणाम । चमत्कार आक्रोश में बदल गया तेरापंथ के प्रवर्तक आचार्य भिक्षु गृहस्थ जीवन में भी संत का जीवन जीते थे । उनकी वैराग्य-साधना अद्भुत थी, उनकी अन्तर्दृष्टि जागृत थी । वे सत्य या नियम के लिए समर्पित थे | वे चमत्कार के भ्रम जाल में नहीं फंसते थे। उनका ग्राम कंटालिया (जिला-पाली) था । वहां किसी के घर चोरी हो गई । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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