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________________ १६. जरूरत है उस परम्परा की, जो राजनीति को अहिंसा से जोड़ सके प्रश्न है विश्वसनीयता का 'ग्यारह गांधीवादी संस्थाओं के खिलाफ सी० बी० आई० की जांच' (दैनिक हिन्दुस्तान, ९ अगस्त ८९) यह शीर्षक चौंकाने वाला है । इसमें गांधी का नाम जुड़ा हुआ है । जिस गांधी ने दो पैसे के हिसाब के लिए अपने सचिव प्यारेलाल को लंबे समय तक उलाहना दिया । एक रेल यात्री ने गांधीजी से कहा - 'बापू ! आपने दो पैसे के हिसाब के लिए प्यारेलालजी को इतना लताड़ा ?' गांधी बोले'प्रश्न दो पैसे का नहीं है । प्रश्न है सार्वजनिक पैसे का । जनता मेरे विश्वास पर पैसा देती है । यदि एक पैसा भी इधर-उधर होता है तो मेरे प्रति जनता का विश्वास टूट जाएगा ।' महात्मा गांधी का वह आदर्श इस जांच की पृष्ठभूमि में मौन हो रहा है । यदि वह मुखर होता तो कुदाल आयोग की रिपोर्ट का पृष्ठ उजला होता । धन के कथित दुरुपयोग के मामलों की जांच का कार्य केन्द्रीय जांच ब्यूरो को नहीं सौंपा जाता । जो कुछ हुआ है, उसे सौभाग्यपूर्ण नहीं कहा जा सकता । इस प्रकार की घटनाओं का होना कोई आश्चर्यजनक नहीं है । यह आश्चर्यजनक इसलिए है कि यह गांधीवादी संस्थाओं से जुड़ा हुआ है । नेतृत्वहीन है गांधीवाद कुदाल आयोग की रिपोर्ट को विवादास्पद बताया जा सकता है, सी० बी० आई० की जांच को भी राजनीतिक रूप दिया जा सकता है किन्तु गांधी गांधी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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