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________________ कृत्रिम में अकृत्रिम की खोज ४५ को ओढ़ने में सफल हो सका तो फिर विज्ञान और धर्म में भेदरेखा खींचने की जरूरत क्या होगी? व्यक्तित्व निर्माण का प्रश्न शुक्र और रज में विद्यमान जीन्स में कुछ कतर-ब्योंत कर मनचाहे गुण वाले व्यक्तित्व का निर्माण संभव बन जाए तो यह सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि होगी । फिर व्यक्तित्व-निर्माण का प्रयत्न आवश्यक नहीं रहेगा । कर्मसिद्धान्त के अनुसार मनुष्य में विधायक और निषेधात्मक ये दो प्रणालियां विद्यमान रहती हैं । निषेधात्मक प्रणाली को निष्क्रिय बनाकर विधायक प्रणाली को सक्रिय बना दिया जाए तो अच्छा व्यक्ति बन सकता है । यह कार्य व्यक्ति के अपने पुरुषार्थ द्वारा संभव हो सकता है किन्तु इसकी कोई कतर-ब्योंत वाली प्रक्रिया कर्म-दर्शन के पास नहीं है । अकल्पित होड़ का वातावरण ____ आज सबसे बड़ी समस्या व्यक्तित्व का निर्माण है । व्यक्तित्व का सबसे बड़ा गुण है चारित्रिक विशेषता । उसके बीज का अकुरण नहीं हो रहा है । भौतिकवादी अवधारणााओं और आर्थिक प्रलोभनों ने एक अकल्पित होड़ का वातावरण पैदा कर दिया है । आर्थिक दौड़ में कोई भी पीछे रहना नहीं चाहता। सारी शक्तियों की आहुति अर्थार्जन के हवनकुण्ड में दी जा रही है । नैतिकता, ईमानदारी, सचाई जैसे शब्द अपना अर्थ बदलते जा रहे हैं । आश्चर्य होता हैसमाज के अग्रणी लोग धार्मिक मामलों में घोटाला करते हैं । बड़े-बड़े व्यापारी, उद्योगपति और सत्ता के सिंहासन पर बैठे लोग जब ऐसा करते हैं तब दूसरों के बारे में क्या कहा जा सकता है ? विकास और संयम आज आर्थिक विकास की चर्चा हर स्थान पर सुनने को मिलती है । उसका शिक्षण और प्रशिक्षण भी मिलता है । प्रत्येक राष्ट्र आर्थिक विकास की चिन्ता में लगा हुआ है । आर्थिक संयम का स्वर बहुत क्षीण हो चुका है | उसका उच्चारण भी कम हो रहा है और उसे सुनने वाले भी बहुत कम हैं । केवल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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