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१०. अशाश्वत में शाश्वत की खोज
प्रतिध्वनि
शाश्वत सत्य की प्रति-ध्वनि धर्म के क्षेत्र में बहुत बार सुनने को मिलती है । कभी-कभी वह राजनीति के क्षेत्र में भी सुनाई दे जाती है । सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाच्योव और चीनी नेताओं के बीच हुए वार्तालाप के संदर्भ में उसे उद्धृत करना प्रासंगिक होगा। चीन के केन्द्रीय सैनिक आयोग के अध्यक्ष श्री देंग ने कहा - 'गोर्बाच्योव के साथ हुई उनकी वार्ता को आठ चीनी अक्षरों में प्रस्तुत किया जा सकता है । उसका अर्थ है - बीती बातों को ताक पर रखकर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना । दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए — 'गुजरी बातों को गुजरी बातें मानकर आगे बढ़ा जाए ।' अतीत की भूलों को भुलाने का यह स्वर धर्म का स्थायी स्वर है ! उद्रायण ने चंडप्रद्योत को बन्दी बना लिया था किन्तु बीती बातों को ताक पर रखने के धार्मिक सिद्धांत को सम्मान दिया। बंदी मुक्त हो गया और दोनों एक आसन पर आसीन हो जाए । जैन धर्म का सुप्रसिद्ध शब्द है — खमतखामणा । इसका अर्थ है— क्षमा लो और क्षमा दो । भविष्य को प्रशस्त करने का यह एक सहज मार्ग है । अतीत की बेड़ियों से बंधे हुए पैर उज्ज्वल भविष्य की ओर कभी आगे नहीं बढ़ सकते ।
प्रश्न स्वतन्त्रता का
चीन के प्रधानमंत्री ली फेंग ने सोवियत राष्ट्रपति गोर्बाच्योव के साथ बातचीत के दौरान यह घोषणा की - 'स्वतंत्रता, जनतंत्र और मानवाधिकारों पर पूंजीवादी देशों का ही एकाधिकार नहीं है । उनका लाभ समाजवादी देशों को भी उठाना
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