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________________ १४ आमंत्रण आरोग्य को निर्धारित की जा सकती है । परिस्थिति का मूल्य कम नहीं है । अच्छे-बुरे की अभिव्यक्ति में परिस्थिति का बहुत बड़ा हाथ है इसीलिए बदलाव की प्रक्रिया दोनों ओर से चलनी चाहिए । उपदान भी बदले, निमित्त या परिस्थति भी बदले । अन्तर्द्वन्द्व वर्तमान मनुष्य का ध्यान परिस्थिति को बदलने पर केन्द्रित है । इस शताब्दी में उसे बदलने के अनेक समायोजन हुए हैं और आज भी हो रहे हैं । राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सभी प्रणालियों को बदला गया । परिणाम जो निकलना चाहिए, वह नहीं निकला | इस असफलता के बिन्दु पर पहुंचकर क्या सोचना आवश्यक नहीं है? आखिर खामी कहां है? परिर्वतन के इतने प्रयत्नों के उपरान्त भी वह नहीं हो रहा है। इसका अवश्य कोई हेतु है । उस हेतु की खोज आज की अनिवार्य अपेक्षा है । चैतन्य को गौण कर केवल पदार्थ-परक प्रवृत्तियां समाज में शान्ति की स्थापना नहीं कर सकती । आज पूरे विश्व का वातावरण भय से आक्रांत है । पूरी मानव जाति का अस्तित्व खतरनाक मोड़ पर खड़ा है । यह भय पदार्थ के विस्तार से उपजा है | सुविधावादी समाज नहीं चाहता कि पदार्थ कम हो और भय न हो, यह नियति को मान्य नहीं है | समझौते का बिन्दु दिखाई नहीं देता । वैज्ञानिक उपलब्धियों ने जीवन को इतना सुविधामय बना दिया कि अब उससे पीछे हटने की हमारी तैयारी नहीं है । विकास के मानदण्ड जो बन गए, उनकी अन्त्येष्टि करना हमें पसन्द नहीं है । हम शान्तिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं, अभय और मुक्त वातावरण में सांस लेना चाहते हैं, साथ-साथ पदार्थ का अम्बार भी लगाना चाहते हैं | यह सबसे बड़ा अन्तर्द्वन्द्व है । इस विरोधाभासी सभ्यता में जीने वाला आदमी क्या कभी अपने प्रश्न का उत्तर पा सकेगा? युग दीर्घदर्शी नहीं है एक भाई ने बताया-विदेश से कुछ लोग शुद्ध गेहूं की मांग कर रहे हैं। मैंने पूछा-गेहूं अशुद्ध कैसे ? रासायनिक खाद से पैदा होने वाला गेहूं शुद्ध कैसे होगा ? कृषि वैज्ञानिकों ने उपज की बढ़ोतरी के लिए रासायनिक खाद का बहुत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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