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________________ २०६ आमंत्रण आरोग्य को अम्ल रस अम्ल रस या खट्टा रस पित्त को बढ़ाता है, कफ को बढ़ाता है किन्तु वायु का शमन करता है। समस्या यह है नींबू, अमचूर आदि की खटाई के बिना तो भोजन का आनंद ही नहीं आता । खट्टी चीजें कुछ सीमा तक स्त्रियों के लिए लाभप्रद हो सकती हैं किन्तु पुरुष के लिए सर्वथा हानिकारक हैं । आज की वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार अन्न के साथ खटाई खाना सर्वथा निषिद्ध है । पुरानी मान्यता के अनुसार भोजन के तत्काल बाद खाटे की गोली या ऐसी ही चीजें खाना जरूरी है किन्तु आज के वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार भोजन के साथ या उसके तत्काल बाद खटाई खाएंगे तो पाचन में गड़बड़ी हो जाएगी। हम इसका भी संतुलन रखें। यह संकल्प होना चाहिए— अम्लरस रोज नहीं खाना है या ज्यादा नहीं खाना है, बार-बार नहीं खाना है । हम इस बात को एकांततः न पकड़ें कि मीठा रस या खट्टा रस खाएंगे ही नहीं । यह रसों का संतुलन है, सीमाकरण है । इतनी मात्रा से ज्यादा नहीं खाएंगे, यह विवेक जाग जाए तो एक साथ दो लाभ होंगे। उसके विवेक से खाद्य संयम को बल मिलेगा, दूसरी ओर मन भी स्वस्थ रहेगा । लवण तत्त्व तीसरा तत्त्व है लवण । यह भी पित्त को बढ़ाने वाला है । डॉक्टरों के अनुसार, सामान्यतः एक आदमी को दिन भर में एक या दो ग्राम नमक पर्याप्त है | हम दिन भर में जितने भी द्रव्य खाते हैं, उसके आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि हम नमक की कितनी मात्रा का उपयोग करते हैं । जब अतिरिक्त नमक खाते हैं तो पित्त बढ़ेगा । इसलिए नमक खाने की सीमा हो । जो नमक का त्याग करते हैं, वे मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ा देते हैं। ऊपर से नमक नहीं लूंगा, यह बड़ा अच्छा त्याग है । त्याग इस बात का भी होना चाहिए कि दिन में इतनी नमकीन चीजों से ज्यादा नहीं खाऊंगा । अगर साग खा लिया तो फिर पापड़ नहीं खाऊंगा, पापड़ खा लिया तो कचौड़ी- पकौड़ी नहीं खाऊंगा । रसों का संतुलन बनाएं एक रस है कटु रस | कड़वा रस भी वायु और पित्त को बढ़ाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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