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________________ व्यक्तित्व के तीन प्रकार १८३ आएगी, सहन-शक्ति आएगी, स्वार्थ नहीं होगा, संविभाग करने की वृति पनपेगी। सात्त्विकता का लक्षण है संविभाग । सुन्दर कसौटी वृत्तियों को देखकर, आचरण और व्यवहार को देखकर हम आदमी को पहचान सकते हैं कि यह सात्त्विक प्रकृति का आदमी है, राजसिक प्रकृति का आदमी है अथवा तामसिक प्रकृति का आदमी है । एक बहुत अच्छा मानदण्ड, कसौटी या पैरामीटर हमारे पास है जिससे हम किसी व्यक्ति को पहचान सकें और उसी के अनुरूप उसके साथ व्यवहार करें । यह विषय प्रत्येक परिवार के अध्ययन का विषय बनना चाहिए । परिवार के सभी सदस्यों की प्रकृति एक समान नहीं होती । दस सदस्य हैं । नौ की प्रकृति सात्विक है । हो सकता हैएक ऐसा उदंड निकल जाए जो सारे परिवार की शांति छीन ले । यदि साथ में रहना है तो सबसे पहले प्रकृति का विश्लेषण करना होगा, प्रकृति के भेद को समझना होगा । किस व्यक्ति की कैसी प्रकृति है, उसे समझना होगा । पिता-पुत्र, भाई-बहन, सास-बहू—सबको एक-दूसरे की प्रकृति से परिचित होना होगा और उसी के अनुरूप व्यवहार करना होगा । __ हम इसे उदाहरण के द्वारा समझें । राजसी प्रकृति का मुख्य लक्षण हैअहंकार । रजोगुण अहंकार प्रधान होता है । सास है सात्त्विक प्रकृति वाली और बहू है राजसी प्रकृति की । इस स्थिति में सास यदि बहू को झाडू लगाने के लिए कहेगी तो राजसी प्रकृति की बहू का अहंकार आड़े आएगा । परिणाम होगा—परिवार में कलह उभरेगा, घर की शांति भंग होगी । आज अधिकांश परिवारों में ऐसा हो रहा है । सामुदायिक जीवन में ऐसा होता है । ऐसा क्यों है ? ऐसा इसलिए है कि हम लोग प्रकृति के आधार पर कार्य का विभाजन नहीं करते। अगर प्रकृति के विश्लेषण के बाद कार्य का विभाजन करें तो समस्या सुलझ जाएगी । किन्तु इसके लिए जो शिक्षा मिलनी चाहिए, वह मिल नहीं रही है, यथोचित शिक्षा के अभाव में परिवार विखंडित हो रहे हैं । सामंजस्य बिठाएं एक व्यक्ति में कमाने की बहुत क्षमता है, वह काफी सम्पत्ति इकट्ठी कर सकता है, किन्तु उसकी प्रकृति राजसिक है । उसका अहंकार दूसरे सहन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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