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________________ १६८ आमंत्रण आरोग्य को मुल्ला ने शहर के दरवाजे में प्रवेश किया । शहर के दरवाजे में प्रवेश करते समय चौकीदार का पहला प्रश्न होता था - तुम क्यों आए हो ? मुल्ला से भी यही प्रश्न पूछा गया । मुल्ला बोला- 'फांसी पर लटकने के लिए ।' चौकीदार बोला- 'तुम झूठ बोलते हो ।' मुल्ला ने कहा- 'मैं सच कहता हूं । यदि तुम्हें संदेह है तो फांसी पर लटका कर देख लो ।' चौकीदार बोला- 'अगर लटका दिया तो तुम्हारी बात सच हो जाएगी ।' राजा भी उस समय भ्रमण के लिए उस दरवाजे पर आए हुए थे । राजा की ओर संकेत कर मुल्ला ने कहा'इसीलिए तो मैंने महाराज से कहा था कि किसी से जबरदस्ती सच बुलवाया नहीं जा सकता । मुझे मरना नहीं है किन्तु आप फांसी पर लटकाएं तो मेरी बात सच होती है । यदि नहीं लटकाओगे तो मेरी बात झूठी हो जाएगी । यानि मैं झूठ बोल गया ।' प्रश्न है मानसिकता का बड़ा मुश्किल है किसी को मनचाहा बना देना, किसी की मानसिकता को बदल देना । किसी को मारा जा सकता है, जबरदस्ती बदला नहीं जा सकता । आजकल मारना सहज और सामान्य बात हो गई है । अंधाधुन्ध गोलियां चलाकर या बम विस्फोट कर एक साथ कितने ही व्यक्तियों को मार डालना आसान है किन्तु किसी के मन को बदलना किसी महान सन्त या सम्राट् के भी हाथ में नहीं है । सम्राट् किसी को मार सकता है किन्तु बदल नहीं सकता । मानसिकता का प्रश्न बड़ा जटिल है । मानसिक स्वास्थ्य की समस्या एक उलझी हुई समस्या है, इसीलिए उसके समाधान की तीव्र चाह का होना अपेक्षित है । चाह के साथ उपाय का योग हो तो मानसिक स्वास्थ्य की समस्या सुलझ सकती है । चाह के अभाव में जबरदस्ती उपाय बतलाने का अर्थ भी नहीं होगा । यदि हम मानसिक स्वास्थ्य चाहते है तो इन सात सूत्रों पर विचार-विमर्श करें, इनकी मीमांसा करें १. प्राणशक्ति का सन्तुलन २. सम्यक् श्वास ३. आहार-संयम ४. क्रोध का उपशमन ५. तनाव का विसर्जन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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