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क्या मानसिक स्वास्थ्य चाहते हैं ? १६७ ये तीन स्थितियां हैं । प्रेक्षाध्यान के शिविर में जो लोग आते हैं, वे मुख्यतया भावना के परिष्कार के लिए आते हैं । मन और शरीर का परिष्कार अपने आप प्रासंगिक रूप में हो जाता है ।
प्रश्न है चाह का
भावना और शरीर—इन दोनों के बीच का सेतु है-मन । मानसिक आरोग्य ठीक रहता है तो भावना को भी ठीक रहने का बल मिलता है, शरीर को भी ठीक रहने का बल मिलता है । हम मन को पकड़ें । मानसिक स्वास्थ्य यह शब्द बहुत प्रचलित है । इसे हम अधिक आसानी से समझ जाते हैं । भावनात्मक स्वास्थ्य का प्रयोग करें तो कम लोग समझ पाएंगे । जिनका धर्म से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है, वे नहीं समझ पाएंगे । यदि हम मानसिक आरोग्य या स्वास्थ्य का प्रयोग करें तो लोगों को समझने में सुविधा होगी । इसीलिए सीधा प्रश्न पूछा गया—क्या मानसिक आरोग्य चाहते हैं ? नहीं चाहते—यह शायद किसी का उत्तर नहीं होगा। हर व्यक्ति यही कहेगा-- मानसिक स्वास्थ्य चाहते हैं । चाहना एक बात है और चाह के अनुरूप आचरण करना बिलकुल दूसरी बात है । बहुत लोग चाह के अनुरूप आचरण नहीं करते और जबरदस्ती कराया नहीं जा सकता | दुनिया में और सब कामों में जबरदस्ती हो सकती है, किन्तु चाह को जबरदस्ती नहीं बदला जा सकता ।
राजा और मुल्ला नसीरुद्दीन
एक राजा के मन में एक बात उठी-दुनिया में झूठ बहुत चलता है । यह झूठ का प्रचलन अच्छा नहीं है | मैं ऐसा कोई उपाय करूं कि मेरे राज्य में कोई झूठ न बोल सके । राजा ने घोषणा करवा दी-जो आदमी झूठ बोलेगा, उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा । लोगों में तहलका-सा मच गया, दहशत पैदा हो गई । एक आतंक-सा छा गया । लोगों ने मान रखा था, झूठ के विना काम नहीं चलता | बड़ी मुसीबत हो गई । मुल्ला नसीरुद्दीन राजा के पास गया । राजा ने कहा—'देखो ! मैंने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि कोई झूठ नहीं वालेगा।' मुल्ला बोला-'महाराज! आपने जो व्यवस्था की है क्या वह सफल होगी ? क्या किसी को जबरदस्ती बदला जा सकता है ?' राजा ने कहा-'क्यों नहीं बदला जा सकता ?' नसीरुद्दीन ने कहा—'ठीक है, मैं भी देखूगा ।' दूसरे दिन
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