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________________ १५२ आमंत्रण आरोग्य को (३) मनस्ताप (४) धातुक्षय (५) अविघात जब वायु और पित्त मात्रा में रहते हैं, तब कोई विकृति नहीं होती । जब इनकी मात्रा बढ़ती है तब विकृति पैदा हो जाती है | वायु और पित्त का प्रकोप तथा धातुक्षय-ये शारीरिक कारण हैं । मनस्ताप और अविघात-ये मानसिक कारण हैं | मानसिक चिन्ता है तो अनिद्रा होगी। मन में बार-बार चिन्ता उभरती है तो नींद उड़ जाती है । बहुत से लोग कहते भी हैं, तनाव के कारण नींद उड़ गई। कुछ लोगों में मानसिक तनाव निरन्तर बना रहता है, उन्हें नींद नहीं आती | एक कारण है मानसिक संताप । अनिद्रा का एक कारण है धातुक्ष्य । शरीर की बहुत-सी धातुएं क्षीण हो जाती हैं तो अनिद्रा की स्थिति बन जाती है | पांचवां कारण है- अविघात । कोई ऐसा आघात लग जाता है जिससे नींद नहीं आती । सत्त्वगुण : तमोगुण ____महर्षि चरक ने और भी कारण बतलाए हैं। उनमें एक कारण है— सत्त्वगुण की वृद्धि | अच्छी भावना अच्छी साधना और अच्छे विचार हो जाते हैं तो नींद भी नहीं आती । एक प्रेक्षाध्यानी ने बतलाया कि जब मेरे ध्यान की अवधि बढ़ी तो नींद कम हो गई । उसने समझा, यह कोई बीमारी हो गई | पर यह बीमारी नहीं है । ज्यों-ज्यों ध्यान की मात्रा बढ़ेगी, नींद घट जाएगी । इसका कारण है सत्त्वगुण की वृद्धि | नींद का कारण है तमोगुण और जागरण का कारण है सत्त्वगुण । सत्त्वगुण का कार्य है जगाना और तमोगण का कार्य है नींद में ले जाना । जब सत्त्वगुण बढ़ता है तब अनिद्रा की स्थिति आ जाती है और जब तमोगुण बढ़ता है तब नींद ज्यादा आने लगती है । वायु, कफ, पित्त की वृद्धि से जो नींद कम आती है, वह बीमारी मानी जा सकती है किन्तु सत्त्वगुण की वृद्धि से नींद कम आने को बीमारी नहीं कहा जा सकता । यह एक विकास है । इसका अर्थ है- नींद की जरूरत कम हो गई । जिस व्यक्ति में सत्त्वगुण की वृद्धि हो जाती है वह नींद कम लेता है तो कोई कठिनाई नहीं होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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