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________________ १४४ आमंत्रण आरोग्य को उस स्थिति में ही समझ पाएंगे कि शरीर का स्वास्थ्य क्या है और मन का स्वास्थ्य क्या है ? मानसिक स्वास्थ्य और मनोबल- दोनों जुड़े हए हैं । मनोबल है तो मन का स्वास्थ्य बना रहेगा। मनोबल टूटता है तो मन का स्वास्थ्य भी कमजोर हो जाता है | मनोबल के बिना मानसिक स्वास्थ्य को ठीक नहीं रखा जा सकता। मनोबल सबमें समान नहीं होता । इसमें बहुत तरतमता है। किसी में एक प्रतिशत, किसी में दो प्रतिशत और किसी में पांच प्रतिशत मनोबल होता है । अगर हजार आदमी हैं तो मनोबल की मात्रा भी हजार प्रकार की बन जायेगी । लाख हैं तो उसके लाख प्रकार बन जाएंगे | इतनी तरतमता है कि जितना भी विषय उपलब्ध होता है, वह भी कम हो जाता है । मनोबल कम हुआ, मानसिक स्वास्थ्य भी कम हो जाएगा । मानस-दोष प्रश्न होता है मनोबल कम क्यों होता है ? आयुर्वेद में इसका विचार किया गया है । मनोबल की कमी का कारण है मानसिक दोष, आंतरिक मन का दोष । अपना दोष है इसीलिए मनोबल कम होता है । इसकी अगर अध्यात्म की भाषा के साथ तुलना की जाये तो एक बात स्पष्ट हो जायेगी कि भाव और मन हमारी दो शक्तियां हैं। मन है चिन्तन, कल्पना और विचार की शक्ति और भाव है उससे भी सूक्ष्म शक्ति, आंतरिक शक्ति । क्रोध, अहंकार, भय, ईर्ष्या, द्वेष—ये सारे भाव हैं । ये जब मन के साथ जुड़ जाते हैं तब मनोभाव कहलाते हैं ! भाव के साथ मन जुड़ता है | आयुर्वेद में इसे मानस-दोष कहा गया है । जब मानस-दोष आता है, मन में विकार पैदा हो जाता है, मन की शक्ति टूटने लगती है । आदमी सहन नहीं कर पाता । बीमार डॉक्टर ने कहा- 'दर्द इतना हो रहा है कि मैं सहन नहीं कर पा रहा हूं । इच्छा हो रही है कि मैं मर जाऊं।' डॉक्टर ने कहा-'बहुत अच्छा किया जो मुझे बुला लिया । अब जीने की आशा ही नहीं है ।' मानस-दोष : दो प्रकार मरने में सहयोग करने वाले भी कम नहीं हैं । मन को विकृत बनाने में सहयोग देने वाले भी कम नहीं हैं । बाहर भी हैं, भीतर भी हैं । भीतरी कारणों की मीमांसा की गई । मानस दोष के दो प्रकार बताए गये । एक है निजी मानस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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