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मनोबल के तीन रूप १३३
भी, किसी भी परिस्थिति में आत्महत्या नहीं करूंगा । आज मैं उस संकल्प को तोड़ रहा हूं । विमर्श चला | वह तत्काल आत्महत्या के विचार को स्थगित कर घर की ओर मुड़ गया ।
सिद्धपुरुष कौन ?
महान सिद्धि है—सहनशक्ति का विकास । जिसमें निंदा और अपमान, लाभ और अलाभ को सहने की शक्ति आ जाती है, वास्तव में वह सिद्धपुरुष हो जाता है । सिद्धपुरुष वह कहलाता है, जिसमें सिद्धियां प्रकट हो जाती हैं ।
किसी ने कहा- वह कैसा निकम्मा आदमी है । यह करता है, वह करता है, ऐसा करता है, वैसा करता है । इन सबको सहने की जो शक्ति है वह है तापशक्ति । साधुओं को कितना सुनना पड़ता है? वे सब कुछ सहते हैं इसीलिए तो वे सिद्धपुरुष बन जाते हैं ।
महावीर ने क्या नहीं सहा ? लोग कितनी गालियां देते, कितनी ताड़नाएं देते, कुत्ते. पीछे लगा देते, पर महावीर शांत रहते । उनमें सहनशक्ति और तापशक्ति-दोनों जग चुकी थीं। ये नहीं जागतीं तो महावीर अनार्य क्षेत्रों में जाते ही नहीं और यदि वे जाते तो सकुशल नहीं लौटते । सिद्धपुरुष वह होता है जिसमें गालियां, आक्रोश आदि सहने की शक्ति जाग जाती है ।
प्रवरसत्त्व
आयुर्वेद में मनोबल के तीन प्रकार बतलाए गएप्रवरसत्त्व, मध्यमसत्त्व और अवरसत्त्व अर्थात् उत्तम मनोबल, मध्यम मनोबल और अल्प मनोबल । सत्त्व का अर्थ है-मन । आचार्य भिक्षु प्रवरसत्त्व वाले व्यक्ति थे । उनका मनोबल उत्तम कोटि का था । आचार्य भिक्षु सहनशक्ति की प्रतिमूर्ति थे | उन्होंने अनेक कष्ट झेले । सिरियारी की हाट (दुकान) में चातुर्मास बिताया । गर्मी का मौसम, हाट का ढलाऊ दरवाजा, जिसमें झुककर ही प्रवेश किया जा सकता है | न खिड़की और न रोशनदान | अन्दर अंधेरा ही अंधेरा । आचार्य भिक्षु उस हाट में रहे । जो प्रवरसत्त्व का धनी होता है, उत्तम मनोबल वाला होता है, वही व्यक्ति ऐसी कठिनाइयों को झेल सकता है ।
आचार्य भिक्षु ने केवल स्थान की कठिनाई ही नहीं, आहार-पानी की भी जो कठिनाइयां झेली, वे अद्भुत थीं । वर्षों तक उपयुक्त आहार तो क्या, भरपेट
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