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________________ क्या मानसिक स्वास्थ्य चाहते हैं ? १२९ पर बदलती रहती है । स्वर-शास्त्र इसका वाचक है । भारत में स्वर-शास्त्र का बहुत विकास हुआ था । उसके आधार पर यह बताया गया- किस स्वर के समय स्वामी से बात करनी चाहिए, प्रार्थना या याचना करनी चाहिए ? कौनसा कार्य किस स्वर के चालू रहते प्रारम्भ करना चहिए ? यात्रा करते समय कौन-सा स्वर उत्तम होता है? जैविक घड़ी बदलती रहती है । मनोबल भी समय के साथ बदलता रहता है । प्रातःकाल किसी से बात करो, बात मान ली जाएगी । गर्मी के दिनों में बारह बजे किसी से हितकर बात करो, नहीं मानी जाएगी, विपरीत रूप से गृहीत होगी । किस समय मूड अच्छा रहता है, मनोबल अच्छा रहता है, सहन करने की शक्ति बनी रहती है, यह सारा जैविक घड़ी बता सकती है । कालजन्य : अवस्थाजन्य जैविक घड़ी वाले वैज्ञानिकों ने बताया-दांत निकलवाना हो तो डेन्टिस्ट के पास किस समय जाना उचित होता है, ऑपरेशन कराना हो तो कौन-सा दिन या दिन का कौन-सा समय अच्छा होता है, किस समय व्यक्ति की सहनशक्ति ज्यादा होती है और किस समय वह कम होती है-यह सारा काल पर आधारित होता है । यह है कालज, कालकृत । एक ही दिन में अमुक-अमुक काल में मनोबल मजबूत होता है और अमुक-अमुक काल में वह कमजोर रहता है । मुनि प्रायः प्रातःकाल लंचन कराते हैं । वे जानते हैं कि उस समय मनोबल मजबूत रहता है । सहन करने की शक्ति कब अच्छी होती है, इसका भी विज्ञान कालज मनोबल का एक अर्थ होता है- वयकृत मनोबल, अवस्थाकृत मनोबल । अवस्था के साथ-साथ मनोबल बढ़ता-घटता रहता है । बच्चे के मन का पूर्ण विकास नहीं होता । उसका मनोबाल कमजोर होगा । उससे युवक का मनोबल अधिक होगा । बूढ़े का मनोबल भी कमजोर होता जाता है । जैसेजैसे अवस्था बढ़ती है, आदमी बूढ़ा होता जाता है, मनोबल क्षीण होता चला जाता है । अवस्था के साथ भी मनोबल जुड़ा हुआ है । युक्तिकृत मनोबल तीसरा मनोबल है- युक्तिकृत, उपायकृत । यह तीन साधनों से सम्पन्न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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