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________________ अहिंसा का विकास ११७ समाज के विकास के लिए, नैतिकता के विकास के लिए दो बातें जरूरी हैं— ज्ञान भी हो और अच्छा मानवीय व्यवहार भी हो । मानव मानव के प्रति सद्व्यवहार करे, बुरा व्यवहार न करे। यह तभी संभव है जबकि यह पूरा सिद्धान्त — श्रवण, मनन और निदिध्यासन चले और इनका अभ्यास भी हो । आज सिद्धान्त की बात तो चल रही है पर अभ्यास वाली बात नहीं चल रहीं है | जीवन विज्ञान का मूल सिद्धांत है कि धर्म और विद्या — दोनों क्षेत्रों में सिद्धान्त और प्रयोग का योग होना चाहिए । इस योग का उपयोग कर हम अहिंसा के विकास को नई दिशा दे सकते हैं, नया आयाम और गति दे सकते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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