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________________ ३०. अहिंसा का विकास हम जिसे चाहते हैं और जिसे नहीं चाहते हैं- ये दोनों बातें दुनिया में चल रही हैं । अहिंसा को चाहते हैं, उसका विकास कम हो रहा है । हिंसा को नहीं चाहते, उसका विकास अधिक हो रहा है । हमारी चाह पर सब बातें निर्भर नहीं है । अहिंसा : सात विघ्न आज हिंसा का विकास हो रहा है । दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अहिंसा के विकास में विघ्न उपस्थित हो रहे हैं । विघ्न सात हैं १. हिंसा का संस्कार २. कर्म का संस्कार या जीन ३. परिस्थिति या वातावरण ४. शरीरगत रसायन ५. अनास्था ६. अप्रयत्न ७. प्रशिक्षण और अनुसंधान की कमी । जीन या कर्म संस्कार पहला विघ्न है- हिंसा का संस्कार । इसने अहिंसा की आस्था को ही प्रभावित कर दिया है । दूसरा विघ्न है, आज जो माना जाता है, वह है 'जीन' । जीनेटिक इंजिनियरिंग में मानव व्यवहार के लिए जीन को उत्तरदायी बतलाया गया । जिस प्रकार का जीन होता है, जैसा संस्कार-सूत्र होता है, आदमी वैसा ही व्यवहार करता है | व्यवहार का उत्तरदायित्व जीन पर आरोपित किया गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003069
Book TitleAmantran Arogya ko
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Food
File Size9 MB
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