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सहिष्णुता १६७
भी शस्त्र जसा बन जाता ह। कृष्ण ने पूछा-'अनायस शस्त्र क्या है?' इस पर नारद ने कहा
'शक्त्यान्नदानं सततं, तितिक्षार्जवमार्दवं ।
यथार्हप्रतिपूजा च, शस्त्रमेतदनायसम् ॥ "विरोधियों को जितना दे सकें, अन्न दें। तितिक्षा रखें-उनके शब्द सुन तत्काल आवेश में न आएं। ऋजुता का व्यवहार करें। मृदुता रखें। बड़ों का सम्मान करें। यह अनायस शस्त्र है, बिना लोहे का शस्त्र है।'
नारद ने कहा-'इस शस्त्र से आप उनको वश में कर सकते हैं।'
कृष्ण-'क्या मैं कमजोर हूं? क्या मुझमें शक्ति नहीं है, जो उनकी बातों को सहन कडूं?
गाली देने वाला प्रतिक्रिया में गाली इसीलिए देता है, 'कि क्या मैं कमजोर हूं? तत्काल अहंभाव उभर आता है। व्यक्ति प्रतिक्रिया में लग जाता है। नारद ने कहा-जो महान् होता है वही सहन कर सकता है
नाऽमहापुरुषः कश्चित, नाऽनात्मा नाऽसहायवान् ।
महतीं धुरमाधत्ते, तामुद्यम्योरसा वह ॥' धुरा आपको चलाना है। जो महान् नहीं, वह सहन नहीं कर सकता। जो आत्मवान् नहीं, वह सहन नहीं सकता। जो सहाय-सम्पन्न नहीं, वह सहन नहीं कर सकता। क्या आप महान्, आत्मवान् और सहाय-सम्पन्न नहीं हैं? कमजोर व्यक्ति कभी सहिष्णु नहीं बन सकता। सहिष्णु वही बन सकता है, जो शक्तिशाली होता है। यहां पीछे पर्दा है। पर्दे का होना और धूप का न आना-दोनों जुड़े हुए हैं। वैसे ही शक्ति का होना और क्रोध का न होना, दोनों जुड़े हुए हैं।
मानसिक शान्ति के लिए सहिष्णता आवश्यक है। यह प्रमोद-भावना का बड़ा अंग है। गुणी के गुणों को देख मन में प्रसन्न होना, ईर्ष्या न करना प्रमोद-भावना है। जहां सहिष्णुता होगी वहां प्रमोद-भावना का विकास होगा। ___ एक करोड़पति परिवार था, सब तरह से सम्पन्न। उनमें एक व्यक्ति प्रमुख रूप से काम देखता था, शेष उसके सहयोगी थे। उनके
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