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नई अर्थनीति के पेरामीटर
हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, वहां हमारी सारी प्रवृत्ति, सारा व्यवहार द्वन्द्व से शुरू होता है। जहां द्वन्द्वात्मक स्थिति है, वहां कोई अकेला काम नहीं कर सकता। न अकेला भीतर का काम कर सकता है, न अकेला बाहर का काम कर सकता है। भीतर की स्थिति बदले और बाहर की स्थिति भी बदले। वर्तमान की अर्थव्यवस्था को बदलने और नयी अर्थ व्यवस्था के निर्माण की हमारी कोई मनोवृत्ति है तो इस भूल का परिष्कार करना होगा। मेरी दृष्टि में यह भयंकर भूल है और इसका परिष्कार किये बिना कुछ भी नहीं होगा। कुछ मानदण्ड ___नयी अर्थ-व्यवस्था के प्रवर्तन के लिए हमें कुछ पेरामीटर भी सामने रखने होंगे। नई अर्थव्यवस्था वह हो, जो • विश्व शान्ति के लिए खतरा न बने
अपराध में कमी लाएं। हिंसा को प्रोत्साहन न दे।
• पदार्थ में अत्राण की अनुभूति जगाए। विश्व शान्ति के लिए खतरा न बने
प्रथम शर्त है कि ऐसी अर्थव्यवस्था हो, जो विश्व शान्ति के लिए खतरा न बने । अकेला जो भी बढ़ना चाहे, वह व्यक्ति हो, समाज या राष्ट्र, खतरा पैदा करेगा। इस संदर्भ में महावीर का महत्वपूर्ण सूत्र है
जे लोयं अब्भाइक्खई से अत्ताणं अक्भाइक्खई।
जे अत्ताणं अब्भाइक्खई से लोयं अब्भाइक्खई। 'जो लोक का, जगत् का अस्वीकार करता है, वह अपने अस्तित्व अस्वीकार करता है और जो अपने अस्तित्व को अस्वीकार करता है, वह जगत् के अस्तित्व को अस्वीकार करता है।' महावीर ने कहा- 'जगत् के अस्तित्व को अस्वीकार मत करो और अपने अस्तित्व को भी अस्वीकार मत करो।' पर्यावरण का यह सबसे बड़ा सूत्र है—'तुम अकेले नहीं हो । तुम अपने अकेले के लिए कुछ करो तो सोचो कि मेरे इस कार्य का.मेरे इस व्यवहार का पूरे विश्व पर क्या प्रभाव पड़ेगा? प्रश्न हो सकता है—एक छोटा आदमी क्या सोचे? उसके किसी किये का दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा? किन्तु यह हमारी भूल है।'
महावीर ने अनेकान्त की दृष्टि से कहा-एक अंगुली हिलती है तो उससे सारा
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