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________________ महावीर का अर्थशास्त्र बनना चाहता है, मात्र इतने से ही वह नैतिक नहीं बन सकता। उसके लिए साधना और अभ्यास जरूरी है । जीवन विज्ञान यही तो कहता है कि अच्छी बातें पढ़ने से ही आदमी अच्छा नहीं बनेगा। अच्छी बात का अभ्यास करने से आदमी अच्छा बनेगा। कौन व्यक्ति ऐसा है, जो अच्छाई और बुराई को नहीं जानता ? किन्तु बह अच्छाई सीखने का अभ्यास नहीं करता। आप सिर्फ एक सूत्र को याद कर लें'अच्छी बात पढ़ने-सुनने से आदमी अच्छा नहीं बनता, अच्छी बात का अभ्यास करने से आदमी अच्छा बनता है ।' ११२ 1 प्रश्न - विकास की वर्तमान अवधारणा से चरित्र - विकास नहीं हो रहा है क्या इसके लिए विकास के वर्तमान मानक उत्तरदायी हैं ? चरित्र - विकास के लिए क्या करना चाहिए ? 1 उत्तर - प्रोडक्शन और कंजम्पशन – ये विकास के मानदण्ड बन गए। आप जानते ही होंगे - जिन राष्ट्रों में विकास की यह अवधारणा बनी, आज वहां भी अन्तर्द्वन्द्व छिड़ गया है। विकास की यह अवधारणा ठीक नहीं है, इस पर वहां भी बहस छिड़ी हुई हैं । विकास की अवधारणा को बदलना पड़ेगा। विकास की अवधारणा में चरित्र की अवधारणा को भी जोड़ना पड़ेगा । पदार्थ मिले और उसके साथ चरित्र भी विकसित हो तो वह विकास की एक समग्र अवधारणा होगी। आज की इस अधूरी सचाई ने, अधूरी अवधारणा ने चरित्र को भ्रष्ट किया है, मानवीय मूल्यों का ह्रास किया है और इतनी अशान्ति दी है कि कल तक जो विकास की यह परिभाषा करते थे, आज उनमें भी एक नया चिंतन शुरू हुआ है । मार्क्सवादी चिंतकों में भी विकास की इस आवधारणा को लेकर दो खेमें बन गए हैं। इसलिए विकास के बारे में नए सिरे से सोचना होगा । अर्थशास्त्रीय अवधारणा चारित्रिक मूल्यों से अनुस्यूत और अनुप्राणित बने तभी उसके विकास की संभावना की जा सकती है । प्रश्न- महावीर की अर्थनीति के जो सूत्र हैं, वे पूंजीवाद की ओर ज्यादा झुके हैं या साम्यवाद की ओर ? उत्तर - महावीर का दृष्टिकोण सापेक्षवादी दृष्टिकोण है । अगर हम उनके सिद्धान्तों को पढ़ें तो उन्हें सोशलिज्म की अपेक्षा विकेन्द्रित अर्थनीति कहें तो ज्यादा ठीक होगा । जैसे साम्यवाद और पूंजीवाद केन्द्रित अर्थनीति में हैं, महावीर के दर्शन में ये दोनों नहीं हैं। दोनों से परे तीसरी विकेन्द्रित अर्थनीति पर महावीर के सूत्र ज्यादा फलित होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003067
Book TitleMahavira ka Arthashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2007
Total Pages160
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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