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जिज्ञासा : समाधान
प्रश्न-महावीर ने उत्पादन के विषय में क्या विचार दिये हैं?
उत्तर–महावीर ने उत्पादन के बारे में कोई विचार नहीं दिया, किन्तु उत्पादन की समस्या के बारे में विचार जरूर दिया है। आज उत्पादन वृद्धि गरीबी मिटाने के लिए नहीं है, वह बाजार भावों को स्थिर करने के लिए है। अगर ज्यादा उत्पादन होता है तो उसे समुद्र में डाल दिया जाता है, जिससे बाजार स्थिर रहे । उत्पादन का लक्ष्य गरीबी मिटाना नहीं, बाजार को स्थिर बनाए रखना है। यदि उत्पादन का लक्ष्य गरीबी मिटाना होता तो लाखों टन अनाज समुद्र में नहीं फेंका जाता। महावीर ने कहा-करतापूर्ण कार्य मत करो, मानवीय संवेदना को गौण मत करो। अगर मानवीय संवेदना रहेगी तो गरीबी और भूखमरी की स्थिति में हजारों-लाखों टन खाद्य-पदार्थ नष्ट नहीं किये जाएंगे।
प्रश्न-दो व्यक्ति बराबर श्रम करते हैं। एक के अच्छी उपज हो जाती है, दूसरे के ओला-पाला पड़ जाता है। क्या यह पूर्वजन्म के कर्मों का फल नहीं है?
उत्तर-इसमें पूर्व जन्म के कर्मों का ही फल क्यों मानें? वर्तमान का ही मान लें। कर्म का संबंध नहीं है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। किसी घटना में हो भी सकता है किन्तु इसमें एक कारण पवित्र भावना भी है। एक आदमी ने अच्छे विचार से खेती की, पवित्र मन से खेती की। दूसरे ने शुद्ध मन से नहीं की, खराब कल्पना
आ गई। ऐसे में परिणाम बदल जायेगा। एक छोटी-सी कहानी है___दो किसान अपने खेतों की ओर जा रहे थे। रास्ते में साधु मिले । उनका सिर मुंडा हुआ था। एक ने देखा और सोचा
मस्तक मुंड पाग सिर नाहीं।
कड़प हुसी पर सिट्टा नाहीं। इसका माथा मुंडा हुआ है। इसलिए कड़वी तो होगी, पर सिट्टा नहीं होगा। दूसरे ने देखा, उसके मन में भाव आया
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