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अहिंसा के अछूते पहलू काले सिर वाले से डरना। क्या मेरी मां ने ठीक कहा ? आदमी ने कहाठीक ही कहा है, क्योंकि मौका मिलने पर काला सिर वाला खतरनाक होता है। शेर ने कहा- मौका मिले तब ना ? आदमी ने कहा, हां, मौका मिले तो। शेर ने कहा- कैसे ? आदमी ने तत्काल कुछ लकड़ियां चीरी और एक पिंजड़ा सा बनाया। फिर उसने शेर से कहा, तुम इसमें घुसो। वह घुसा। उसने शेर को पिंजड़े में बन्द कर लिया। शेर बाहर आने के लिए छटपटाने लगा। आदमी बोला, देख ली काले सिर वाले की करतूत ? अभय कौन ? - आदमी शेर से डर रहा है और शेर आदमी से डर रहा है। शायद ही हमारे समाज में ऐसे लोग हों जो किसी से न डरते हों। सब एक दूसरे से डरते हैं । पड़ोसी-पड़ोसी से डरते हैं। अधिकारी व्यापारी से डरते हैं और व्यापारी अधिकारी से डरते हैं । सब एक दूसरे से डरते हैं और इतना भय है कि कहीं कोई चकमा न दे दे, कहीं लूट न ले, फंसा न दे। आदमी कितना सावधान है। यह सावधानी कहां से पैदा हुई ? यह भय के कारण पैदा हुई। भय हमारे जीवन में व्याप्त हो गया। उसका ही जीवन पर प्रबल आधिपत्य है। उसका एक छत्र साम्राज्य है। मुश्किल है अभययुक्त आदमी को खोजना । सर्वथा अभय हो, किसी का भय न हो। ऐसे आदमी को खोजना बड़ा मुश्किल है । ऐसा आदमी कौन हो सकता है ? अभय वही हो सकता है जिसने त्याग का अभ्यास किया है, जिसने त्याग की साधना की है, मूर्छा के त्याग की साधना की है। सबसे बड़ा परिग्रह है शरीर । जिसने अपने शरीर की मूच्र्छा को त्यागना सीख लिया, दुनिया की कोई ताकत नहीं कि उसे भयभीत बना सके । वह कहीं भयभीत नहीं बनता। उसे भय नहीं होता, किन्तु यह अत्यन्त ही कठिन है। इस बात पर हम अगर थोड़ा भी चलें तो इस हिंसा के चक्र को तोड़ सकते हैं। प्रश्न स्वस्थ समाज रचना का
आज बहुत लोग अहिंसक समाज रचना की चर्चा करते हैं, क्योंकि वर्तमान की समाज रचना बहुत हिंसापूर्ण है, स्वस्थ नहीं है। यह कैसे संभव हो सकती है ? आज की सबसे बड़ी समस्या है सत्ता का केन्द्रीकरण
और अर्थ का केन्द्रीकरण । जहां सत्ता केन्द्रीकृत होती है, संपदा केन्द्रीकृत होती है वहां अहिंसक समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। जहां कुछ हाथों में सत्ता केन्द्रित है और कुछ हाथों में सारा धन केन्द्रित है, वहां अहिंसक समाज की बात सोच ही नहीं सकते । बिना विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था और विकेन्द्रित सत्ता के अहिंसा की दिशा में हमारा प्रस्थान नहीं हो सकता । अहिंसा की दिशा में विकास तभी संभव है जब विकेन्द्रीकरण आए। आदमी में इतनी
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