SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३४ अहिंसा के अछूते पहलु का जूठन खाते हैं । लो, मैं भी खा लेता हूं। वह जूठन खा गया । प्रलोभन ने उसको विचलित कर डाला। वह अपनी बात पर अडिग नहीं रह सका। परिस्थिति को सहना आसान नहीं साधक के सामने प्रतिकूल और अनुकूल-दोनों प्रकार की बाधाएं आती हैं। प्रतिकूल बाधाओं को सहना सहज होता है पर अनुकूल बाधाओं को सहना अत्यन्त कठिन होता है । वही व्यक्ति अनुकूल बाधाओं को सह सकता है जिसने एकाग्रता की शक्ति को विकसित कर लिया है। वह चट्टान जैसा रहने में सक्षम हो जाता है। जो व्यक्ति कायसिद्धि, वासिद्धि, और मनःसिद्धि कर लेता है वहीं इस प्रकार की चेतना का विकास कर सकता है। उसमें कोई प्रकंपन नहीं होता, कोई विचलन नहीं होता। जो अपने शरीर, वाणी और मन को स्थिर रखना नहीं जानता, वह कभी ऐसा नहीं हो सकता । उसके लिए पग-पग पर विचलन है । ऐसा आदमी परिस्थिति आए न आए, डगमगा जाता है। बाधक है इच्छा का द्वन्द्व नैतिक होने के लिए आध्यात्मिक होना बहुत जरूरी है । आध्यात्मिक होने का अर्थ है- अपने भीतर प्रवेश करना, अन्तर्जगत् में होने वाले प्रकंपनों और घटनाओं का अनुभव करना। क्षण-क्षण में उत्पन्न होने वाली इच्छाओं को जानना । इच्छा के प्रति जागरूकता बढ़ते ही उसे भोगने की बात कमजोर हो जाती है। कोई आदमी इच्छा को जानकर ही नैतिक बन सकता है। आज का कथन हैं-वर्तमान परिस्थिति नैतिक होने में बाधक है। यह निष्कर्ष सही नहीं है । बाधा परिस्थिति पैदा नहीं करती। बाधा पैदा करता है इच्छा का द्वन्द्व । __इच्छा का अपने-अपने क्षेत्र में महत्त्व है। वह मानवीय चरित्र की अभिव्यक्ति है, जीवन-यात्रा का एक अनिवार्य अंग हैं। उसकी उपेक्षा करना संभव नहीं है और उसकी हर आज्ञा को शिरोधार्य करना खतरे से खाली नहीं है । इन दोनों के बीच में मार्ग खोजना है और वह है- इच्छा का परिष्कार । इसी का दूसरा नाम है-नैतिकता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003065
Book TitleAhimsa ke Achut Pahlu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Religion
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy