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अहिंसा के अछूते पहलु है, वह मानसिक दृष्टि से बीमार है । मानसिक स्वास्थ्य की जांच हो
___ आहार का व्रत, बातचीत का व्रत, आराम का व्रत, नींद का व्रत-ये चार व्रत मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण हैं । कम से कम प्रत्येक मुमुक्षु में इन चार व्रतों का विकास होना चाहिए। आर ये व्रत नहीं लेते हैं तो मानना चाहिए कि मानसिक बीमारी के तत्त्व पनप रहे हैं। जितने मुमुक्षु हैं, उनकी शारीरिक दृष्टि से जांच होती है। कितने स्वस्थ हैं, कितने अस्वस्थ हैं ? उनका परीक्षण होता है। क्या यह जांच नहीं हो सकती कि वे मानसिक दृष्टि से कितने स्वस्थ हैं, कितने अस्वस्थ हैं ? आजकल मनोवैज्ञानिक 'आई क्यू' की जांच करते हैं । शिक्षा के क्षेत्र में बौद्धिक अंकों की जांच होती है। जैसे “आई क्यू" की जांच होती है, बौद्धिक क्षमता को परखा जाता है वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य की जांच भी होनी चाहिए । एक ऐसी प्रश्नावली बने, जिसे अध्यात्म में प्रवेश करने वाला प्रत्येक मुमुक्षु भरे । उससे मानसिक स्वास्थ्य की सम्यक् परीक्षा संभव बन सकेगी। जितना मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है उतना ही धार्मिक स्वास्थ्य अच्छा बन जाता है। यदि मानसिक स्वास्थ्य कमजोर होता है तो धर्म का विकास भी कमजोर बन जाता है। तीसरी कसौटी : दायित्व-बोध
___मानसिक स्वास्थ्य का तीसरा लक्षण है—दायित्व-बोध । जिस व्यक्ति में दायित्व की चेतना जागृत होती है, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता है । दायित्व-बोध का होना जरूरी है। इस काम का मुझ पर दायित्व है, इस दायित्व को मैंने ओढ़ा है, मुझे यह दायित्व दिया गया है। जिसमें यह दायित्वबोध का भाव विकसित होता है, वह मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता है। जो अपने उत्तरदायित्व को नहीं निभाता, उस पर ध्यान नहीं देता, वह मानसिक बीमारी से ग्रस्त बन जाता है । चौथी कसौटी : कर्तव्य-बोध
मानसिक स्वास्थ्य का चौथा लक्षण है- कर्त्तव्य-बोध । किस समय क्या काम करना है, मेरा कर्तव्य क्या है- इसका बोध जागृत होना चाहिए। कोई व्यक्ति बीमार है तो उसके प्रति मेरा क्या कर्त्तव्य है ? अपने आप कर्तव्य बोल जाए । एक व्यक्ति को अपेक्षा है, उसके प्रति क्या कर्त्तव्य है ? इस चेतना का जागना स्वस्थता के लिए आवश्यक है । जिस व्यक्ति, समाज और संगठन में दायित्व बोध और कर्तव्य बोध की चेतना जितनी विकसित होती है, वह व्यक्ति, समाज और संगठन उतना ही विकसित, स्वस्थ और शक्तिशाली होता है । बातें और योजनाएं बहुत हो सकती हैं किन्तु कर्त्तव्य की चेतना
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