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१ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ
सकता है। इन भौतिकता के बिन्दुओं ने यह प्रमाणित कर दिया कि इन आधारों पर चलने से संसार में विघटन होता है; कभी एकता स्थापित नहीं होती। अगर एकता का कोई बिन्दु होगा तो अध्यात्म का बिन्दु ही होगा और आने वाला युग अध्यात्म का ही युग होगा। हमने जो मार्ग चुना है, जो नेतृत्व और मार्ग-दर्शन गुरुदेव का मिल रहा है, वह विश्व एवं समाज के लिए अत्यन्त कल्याणकारी और श्रेयस्कर है। उस बिन्दु को और विकसित करने में मैं कुछ योगभूत बनूं तो यह मेरे लिए बहुत शुभ होगा।
१३ फरवरी १६७४ को प्रदत्त साक्षात्कार
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