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विकास महोत्सव : आधार-पत्र ४१ विकास का आधार मर्यादा-महोत्सव जैसे हमारी संघीय व्यवस्था के लिए आधार-स्तंभ है, वैसे ही विकास-महोत्सव संघीय विकास के लिए आधार-स्तंभ रहेगा। तेरापंथ के विकास के मौलिक आधार हैं
• अनुशासन-एक आचार्य का नेतृत्व • अध्यात्म • अप्रमाद।
अनुशासन के बिना विकास की प्रक्रिया को सुनियोजित ढंग से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। विकास की दिशाएं आध्यात्मिक दृष्टि से विकास के पांच बिन्दु हैं• ज्ञान
• चारित्र • दर्शन
. तप
. वीर्य संघीय दृष्टि से विकास के चार बिन्दु हैं• पारस्परिक सौहार्द • श्रावक समाज की सार-संभाल और संवृद्धि • सेवा
• विहार क्षेत्र। सार्वजनिक दृष्टि से विकास के पांच बिन्दु हैं• जन-सम्पर्क • साहित्य • वक्तृत्व • संगीत
• कला विकास के साधन• शिक्षा
• प्रेक्षाध्यान • स्वाध्याय • जीवन-विज्ञान • अणुव्रत
• अहिंसा-प्रशिक्षण
• आगम अनुसंधान। तेरापंथ धर्मसंघ में जैसे मर्यादा की अक्षुण्ण परंपरा है, वैसे विकास की भी अक्षुण्ण परम्परा रहे। आचार्य का कर्तव्य होगा कि वह इस परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखे। पूरे संघ का कर्तव्य है कि वह इस
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